ICMR के अनुसार लगभग 1300 लोगों की मौत कैंसर से प्रतिदिन होती है | अभी हाल में देश के दो जाने-मने सिने हस्ती ऋषि कपूर और इरफ़ान खान की मौत कैंसर से हुई है |

ICMR के अनुसार लगभग 1300 लोगों की मौत कैंसर से प्रतिदिन होती है | अभी हाल में देश के दो जाने-मने सिने हस्ती ऋषि कपूर और इरफ़ान खान की मौत कैंसर से हुई है | दोनों कैंसर से पीड़ित थे | इस कोरोना जैसे महामारी में कैंसर के मरीज को किस तरह से अपना ध्यान रखने की जरुरत है, उन्हें किस प्रकार से खतरा है, किस प्रकार से सरकार उनके साथ खड़ी है, आदि जैसे गंभीर मुद्दें पर आज हमारे साथ बात करने के लिए धर्मशिला कैंसर संसथान के डॉ अंशुमान हैं |   

1.  कैंसर का पेशेंट्स को इस महामारी के दौरान कोरोना से कितना खतरा है ?

कोरोना, वायरस का एक ग्रुप ऑफ़ फॅमिली है | यह कोई नया वायरस नही है | ये SARS की फॅमिली का वायरस है, इसको नया वायरस इसीलिए कहा जा रहा है क्यूंकि इसके सिम्प्तम अलग है | इसको बाद में SARS COV 2 का नाम दे दिया गया | चाहे कैंसर के मरीज हों या फिर सामान्य लोग, इसका संक्रमण किसी को भी हो सकता है | लेकिन संक्रमण होने और बीमारी होने में अंतर है | संक्रम का मतलब है की कोई वायरस आपके शरीर में आया और सेल के अन्दर घुस गया तो टेस्ट आपको बता देगा की आपको संक्रमण है | लेकिन इससे बीमारी हो तो कोरोना से सबसे कॉमन बीमारी निमोनिया है |

संक्रमण Asymptomatic और  Symptomatic दोनों होता है |  Asymptomatic होना मरीजो के लिए तो अच्छा है की उन्हें इन्फेक्शन तो है लेकिन कोई बीमारी नहीं होती, परन्तु कम्युनिटी के लिए खतरनाक है | क्योंकि इसमें मरीज को संक्रमण के बारे में पता ही नहीं चलता और अनजाने में वे दूसरों को भी संक्रमित करते रहते हैं | जिस व्यक्ति की इम्युनिटी अच्छी है वो वायरस लड़ता रहेगा और उसे बुखार तक नहीं होगा | उसके उलट ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी अच्छी नहीं है या फिर जिनकी उम्र 65 साल से ज्यदा हो और जिन्हें कैंसर, डायबिटीज, या फिर एड्स जैसे खतरनाक बीमारी से ग्रस्त हैं उनमे इन्फेक्शन का खतरा ज्यदा होता है |अगर ऐसे लोगों में संक्रमण हुआ तो ज्यादातर लोगो में लक्षण आयेगा मतलब बुखार, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, खासी हो सकती है | और बहुत से मरीज अति गंभीर हालत में जा सकते है | उनका फेफड़े ख़राब हो सकते हैं, वेंटीलेटर की आवश्यकता हो सकती है, नेमोनिया हो सकता है, और डेथ रिस्क भी बढ़ जाता है |  

2. देश ने अभी हाल में दो जानेमाने सिने हस्ती को खोया है | और बताया जा रहा है की दोनों लोग किसी न किसी तरीके से कैंसर से ग्रस्त थे | वैसे की ऋषि कपूर के रिपोर्ट में निमोनिया का जिक्र है | क्या इसका लिंक कोरोना से भी हो सकता है या फिर इसके पीछे कैंसर ही है ?

दोनों तरह की सम्भावना बनती है | वैसे उनका मेडिकल रिपोर्ट इंडिया में किसी डॉक्टर के पास नहीं है | वैसे पब्लिक डोमेन में ये है की उनका बोने मेरो ट्रांसप्लांट हुआ था | आमतौर पर lyphoma (लिम्फ ग्लैंड के tumor) या ब्लड कैंसर में बोने मेरो ट्रांसप्लांट होता है | उनका किमो थेरेपी भी हुआ था और ऐसे में मरीजो में इम्युनिटी कम होने की सम्भावना होती है | निमोनिया का तो रिपोर्ट में जिक्र है पर ये कैंसर से है या फिर कोरोना से इसका कोई जिक्र नहीं है | वैसे मेडिकल भाषा में एक्सपर्ट के तौर पर हमलोग कहते हैं कि

 Consider all phenumonnia as covid phenumonnia or prove otherwise

3. इरफ़ान खान जैसे सितारें के असामयिक मौत के पीछे भी कैंसर ही है पर उनका कैंसर अलग तरह का था |

इरफ़ान खान न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे | हमारे शारीर में कई ऐसे भी नसें हैं जो जहाँ पर खत्म होती है वहां हर्मोने प्रोडूस करने लगती है | न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर में शरीर में हार्मोन पैदा करने वाले न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स बहुत अधिक या कम हार्मोन बनाने लगती हैं। यह शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जैसे कि लंग्स, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, थायरॉयड या एड्रिनल ग्लैंड। ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है, इसके आधार पर यह तय होता है। वहीं, अगर बीमारी का पता वक्त से लग जाए तो इलाज संभव है। इसमे कई तरह के ट्यूमर होते हैं |

गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर किसी भी हिस्से में हो सकता है जिसमें बड़ी आंत और एपेंडिक्स शामिल है। लंग न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर फेफड़ों में होने वाला ट्यूमर है। जिसमें खांसी के दौरान ब्लड आना और सांस लेने में दिक्कत होती है। पेंक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर में हार्मोन से जुड़ाव के कारण ब्लड शुगर काफी प्रभावित होता है।

इरफ़ान दरअसल मैलिग्नंत न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे जिसमे बीमारी को एक अंग से दुसरे अंग में फैलने की सम्भावना होती है |

Dr Anshuman Kumar, National President-Tara Cancer Foundation (NGO), Director & Chief Cancer Surgeon, Delhi

4. ICMR के अनुसार लगभग 1300 लोगों की मौत कैंसर से प्रतिदिन होती है | ऐसे में आने वाले समय में इसकी और अधिक बढ़ने की सम्भावना है क्या ?

पिछले 18 साल से हर पब्लिक प्रेजेंटेशन में मैं कहता रहा हूँ की सावधान हो जाइये | अपने जीवन शैली में बदलाव लाइए | वातावरण को शुद्ध कीजिये | खान पान ठीक कीजिये | कैंसर जिस रफ़्तार से बढ़ रहा है उसके कारन इस वातावरण में ही है | अगर इस रफ़्तार को नियंत्रित नहीं किया गया तो २०२० में इंडिया ग्लोबल कैपिटल बन जायेगा कैंसर का | सबसे ज्यादा कैंसर के केस इंडिया में होंगे |

5. फिर इस कोरोना महामारी के दौरान कैंसर के मरीजों के लिए सरकार के तरफ से किस तरह के कदम उठाये गए हैं ?

देश के अन्य राज्यों एवं प्रदेशों से लोग कैंसर का इलाज करवाने ज्यादातर दिल्ली और मुंबई आते हैं | फ़िलहाल दिल्ली एम्स बंद है और दिल्ली स्टेट कैंसर भी बंद है | अब सवालिया निशान ये है कि फिर ऐसे में इतने मरीज कहाँ जा रहे हैं इलाज करवाने ? निश्चय ही कैंसर के मरीजों के लिए अलग से सरकार ने कुछ नही सोचा | ऐसा तो संभव नही की इस कोरोना काल में कैंसर के अब एक भी मरीज नही है | सरकार के पास मैनेजमेंट की कमी है | अगर कोरोना के रूप में एक विपदा हम सभी के सामने खड़ी है तो इसका मतलब ये तो नहीं है की कैंसर अब इंडिया से खत्म हो गया | इस कोविड काल में अगर नॉन- कोविड से ही ज्यादा लोग मर गये तो ये कहाँ की समझदारी होगी सरकार की | कैंसर की मरीज हॉस्पिटल जाने में डर रहे हैं की एक तो इम्युनिटी वैसे ही कम रहती है अगर कहीं संक्रमण हो गया तो खतरा और ज्यादा बढ़ जायेगा | ये सब सरकार की दूर दृष्टता की कमी का नतीजा है | कैंसर की मरीज प्रतिदिन बढ़ता है और ऐसे में सरकार के पास इसके लिए कोई विज़न नहीं है | और इतने दिनों के लॉकडाउन में अगर जो मरीज अपना रेगुलर इलाज नही करवा पाए होंगे उनका तो स्टेज ही बदल चूका होगा और इन सभी के पीछे अगर कोई जिम्मेवार है वो सिर्फ सरकार की मैनेजमेंट |

6. फिर ऐसे में मैनेजमेंट में किस तरह से बदलाव किया जा सकता था |

शुरू में ही मैंने 3S कांसेप्ट की बात कही थी पर सरकार के तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया गया |  3S का मतलब है Survillence, Segmentation और Segregation | सबसे पहले तो कोरोना प्रसार पर Survillence रखने की जरुरत है | उसके बाद आता है Segmentation जिसमे पुरे देश भर में एरिया वाइज हेल्थ केयर सुविधा जिसमे सरकारी संस्था और प्राइवेट दोनों हो उसका सेगमेंटेशन किया जाता | और फिर सरकार को चाहिए था की बीमारी के हिसाब से दोनों तरह के हॉस्पिटल को टैग कर दिया जाता | जैसे इसमें सिर्फ कैंसर का इलाज होगा, हार्ट के मरीज के लिए अलग हॉस्पिटल होता आदि | Segregation में जहाँ कैंसर का इलाज होगा वहां सिर्फ कैंसर होगा किसी और तरह के बीमारी का इलाज नही हो सकता | इस तरह के मैनेजमेंट से बहुत फर्क पड़ता और इस तरह की अव्यवस्था नहीं फैलता |

7. कैंसर के पेशेंट को कोरोना से बचने के क्या कहना चाहेंगे | कोरोना कोई इलाज तो है नही, ना तो कोई वैक्सीन है | कैंसर के मरीज हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का सेवन बिलकुल ना करें | वैसे किसी को भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं लेने का सलाह दूंगा | बाकि तो वही कॉमन सलाह है जो सबके लिए है हाइजीन पर विशेष ध्यान दें | फिजिकल डिस्टेंस का पालन करें | मार्किट में ना जाए | एक्सटर्नल एक्सपोज़र से बचे | आम लोगों से ज्यादा इनको पालन करने चाहिए | अगर बहुत ज्यादा जरूरत ना हो तो हॉस्पिटल भी अभी ना जाएँ | 

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