कोविड के दौरान डिजिटल परिवर्तन के अनुरूप, स्वास्थ्य संबंधीजागरूकता, परामर्श और स्वास्थ्य विचार-विमर्श भी डिजिटल हो गए हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, कोविड-19 महामारी के दौरान यह प्रदर्शित हो गया है कि कैसे सोशल मीडिया औरअन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर फैली गलत सूचनाओं का प्रसार वैश्विक जन स्वास्थ्य केलिए उतना ही खतरनाक साबित हो रहा है जितना कि स्वयं वायरस। हालांकि तकनीकी प्रगतिऔर सोशल मीडिया लोगों को सुरक्षित, सूचित और संबद्धरखने के अवसर पैदा करते हैं। लेकिन साथ ही, ये उपकरण मौजूदाइन्फोडेमिक को भी सक्षम और विस्तारित करते हैं जो वैश्विक प्रतिक्रिया को कमजोरकरना जारी रखता है और महामारी को नियंत्रित करने के उपायों को खतरे में डालता है।
ढाका विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा प्रतिष्ठित पत्रिका एमडीपीआई में ‘फेक न्यूज’ पर प्रकाशितएक अध्ययन में बहुत ही रोचक तथ्य सामने आए जैसे: इसमें फेक न्यूज के सात विषय; स्वास्थ्य,धार्मिक-राजनीतिक,अपराध, मनोरंजन, धार्मिक और विविध शामिल थे। स्वास्थ्य संबंधी फर्जी खबरें (67प्रतिशत) सूची में सबसे ऊपर हैं। जिसमें दवा, चिकित्सा, स्वास्थ्य सुविधाएं, वायरलसंक्रमण और डॉक्टर मरीज के मुद्दे शामिल हैं। दूसरा, सात प्रकार कीनकली समाचार सामग्री; लिखितसामाग्री, फोटो, ऑडियो, वीडियो, फोटो के साथ लिखित सूचना, वीडियो केसाथ लिखित सूचनाएं और लिखित सूचनाओं के साथ फोटो व वीडियो शामिल हैं। सबसे अधिक (42.7प्रतिशत) नकली समाचार लिखित सूचनाओं और वीडियो का रूप ले लेते हैं। तीसरा, ऑनलाइनमीडिया मुख्यधारा के मीडिया (5.6 प्रतिशत) की तुलना में अधिक (94.4 प्रतिशत) नकलीसमाचार निर्मित करता है। अधिक दिलचस्प बात यह है कि अधिकतर फर्जी खबरें चार सोशलमीडिया प्लेटफार्म; ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप और यू-ट्यूब पैदा करते हैं। चौथा, अपेक्षाकृत रूप से अधिक नकली समाचारों के अंतर्राष्ट्रीय संबंध (54.4प्रतिशत) हैं, क्योंकि कोविड-19 महामारी एक वैश्विक घटना है। पांचवां, कोविड-10 से संबंधित अधिकांश फर्जीखबरें नकारात्मक (63.2 प्रतिशत) हैं, जो जन स्वास्थ्य के लिए एक वास्तविक खतरा हो सकती हैं।
‘हेल्थ4ऑल ऑनलाइन’ शो की 2021 विशेष उपलब्धियां 10 एपिसोड्स 30 विचार-विमर्श और चर्चा के घंटे 50 स्वास्थ्य विषयों को कवर किया 100 चिकित्सा और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया 100 विशेषज्ञों के सामयिक लघु कैप्सयूल 5,00,000 वीडियो देखे जाने की संख्या डिजिटल रूप से लोगों को स्वास्थ्य जागरूकता के बारे मेंसचेत करने और उन्हें स्वास्थ्य व कल्याण के बारे में जागरूक बनाने के लिए सौप्रतिशत विश्वसनीय मंच उपलब्ध कराने और भारत के सर्वोच्च चिकित्सा, जन स्वास्थ्यऔर कल्याण विशेषज्ञों को शामिल कर के महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने केलिए हील फाउंडेशन ने ‘हेल्थ4ऑलऑनलाइन’ साप्ताहिक हेल्थ शो शुरू किया जिसे मायलान फार्मासुटिकल्सप्राइवेट लिमिटेड – ए वियाट्रिस कंपनी द्वारा प्रायोजित किया गया है। नंवबर 2021से अपनी शुरूआत के बाद से ही इस शो ने केवल 10 एपिसोड में ही 5 लाख विवरशिप के साथदर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। यहअपनी तरह का अनूठा साप्ताहिक स्वास्थ्य शो है जो प्रत्येक रविवार को आयोजित किया जाताहै जिसने अपने सूचनात्मक, व्यावहारिक और शिक्षाप्रद 10एपिसोड पूरे कर लिए हैं। और इसके जागरूकता अभियान को 2022 में भी आगे बढ़ाया जाएगा।शो के एपिसोडों के दौरान जन स्वास्थ्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों, विशेषज्ञोंऔर सरकारी निकायों के अधिकारियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भागलिया और आम जनता को शिक्षित किया। रोसन्ना, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलियामें स्वास्थ्य और प्रबंधन संस्थान में जन स्वास्थ्य के प्रोफेसर और राष्ट्रीयपाठ्यक्रम संयोजक डॉ.प्रो.जो थॉमस ने कहा, “ओमिक्रॉन में बच्चों को संक्रमित करने की प्रवृत्ति है।भारत सरकार को शुरू में स्वास्थ्य बजट में 5 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए और फिरधीरे-धीरे 15 प्रतिशत तक बढ़ा देना चाहिए। लॉकडाउन लगाना एक समझदारी भरा निर्णयनहीं होगा,क्योंकि इससे आर्थिक बोझ पड़ता है। टीकाकरण और अन्य निवारक उपायों का सख्ती सेपालन करना उचित रहेगा। जैसा कि भारत में स्कूल खुलने शुरू हो गए हैं, भारतीय बच्चोंके संक्रमित होने की आशंका कम है, लेकिन वे वायरस के वाहक हो सकते हैं।”
डॉ निमेश गुप्ता, प्रमुख, वैक्सीन इम्यूनोलॉजी लेबोरेटरी, नेशनलइंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी विभाग,विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा,“बूस्टर टीके प्रतिरक्षा की गुणवत्ताको बढ़ाते हैं। जिनका प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है वो व्यक्ति इन टीकों के साथ ओमिक्रॉनसे लड़ सकते हैं, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले बुजुर्ग संक्रमण का मुकाबलाकरने में सक्षम नहीं होंगे। लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए इंट्रानैज़ल टीकेमददगार होंगे।” इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मानद वित्त सचिव (मुख्यालय), डॉ. अनिल गोयल नेकहा, “फ्रंटलाइनहेल्थकेयर वर्कफोर्स को बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए। अतिसंवेदनशील आबादी औरस्वास्थ्य कर्मियों के लिए बूस्टर खुराक महत्वपूर्ण है। फ्रंटलाइन हेल्थकेयररिस्पॉन्डर्स विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के संपर्क में हैं; इसलिए उनकेलिए बूस्टर डोज जरूरी है। आईएमए ने कई महामारीविज्ञानियों और वायरोलॉजिस्टों के परामर्श के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एकबूस्टर खुराक देने का निर्णय लिया है। नए साल में खुद को संक्रमण से बचाने के लिएमास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना न भूलें।”
डॉ संजय कुमार राय, प्रोफेसर, सामुदायिकचिकित्सा विभाग, एम्स, नई दिल्ली, अध्यक्ष, आईपीएचए ने कहा, “टीकेप्राकृतिक प्रतिरक्षा को बूस्ट करते हैं। हालाँकि, होसकता है ओमिक्रॉनसंक्रमण होने पर गंभीरता का खतरा कम हो। मौजूदा टीकों की प्रभावकारिता इसकेविरूद्ध उतनी प्रभावी नहीं है जितनी कि वुहान से उत्पन्न वायरस के विरूद्ध थी।इसके अलावा, प्राकृतिक संक्रमण वायरस के खिलाफ दीर्घकालिकसुरक्षा प्रदान करता है। नए साल, 2022 में उचित सावधानी और सतर्कता के साथ सामान्यस्थिति की ओर बढ़ना बेहतर है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है।
हील फाउंडेशन और हील हेल्थ के संस्थापक डॉस्वदीप श्रीवास्त ने कहा, ” हम विभिन्नकार्यक्रमों के माध्यम से समाज में स्वास्थ्य प्रभाव लाने के लिए स्वास्थ्य देखभालमें सुधार के लिए काम करते हैं। पिछले साल, हमने आमजनता को शिक्षित करने और जागरूक बनाने के लिए भारत में कोविड केप्रकोप के बाद से कोविड फाइटर्स जन स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान शुरूकिया, जिसने अपने 500 दिन पूरे कर लिए हैं और यहलगातार चल रहा है। इसमें 200 से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया है, जोस्वास्थ्य जानकारी के विश्वसनीय स्त्रोत हैं।
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