हाल ही में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने प्राचीन अनाजों को मधुमेह पीड़ितों के आहार में शामिल करने के संभावित लाभों पर प्रकाश डाला है। ये प्राचीन अनाज, जिनमें जेनेटिक मॉडिफिकेशन का अभाव होता है और जो फायदेमंद फाइटोकेमिकल्स व फाइबर से भरपूर होते हैं, मधुमेह प्रबंधन में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं.
अध्ययन की मुख्य बातें:
इस स्टडी में प्राचीन अनाज जैसे कि ओट्स, ब्राउन राइस और बाजरा शामिल हैं। इन परीक्षणों से मधुमेह स्वास्थ्य परिणामों में सकारात्मक प्रभाव पाया गया है, विशेषकर रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल में लाभ देखने को मिला है।
अध्ययन का प्रभाव और महत्व:
यह शोध, जो कि ‘न्यूट्रीशन, मेटाबोलिज्म एंड कार्डियोवस्क्युलर डिसीजेज’ में प्रकाशित हुआ है, मधुमेह प्रबंधन में आहार के चुनाव के महत्व को रेखांकित करता है। इसमें 1,809 प्रतिभागियों के साथ किए गए अध्ययनों का विश्लेषण शामिल है, जिनमें से अधिकांश मधुमेह यानी डाइबेट्स के टाइप 2 से पीड़ित थे। न्यूट्रीशन, मेटाबॉलिज्म एंड कार्डिवस्कुलर डिजीज में पब्लिश यह रिपोर्ट डायबिटीज और हार्ट डिजीज के नियंत्रण में खान पान की भूमिका को अति महत्वपूर्ण मानता है।
प्राचीन अनाजों का सेवन उपवास रक्त ग्लूकोज स्तरों में सुधार कर सकता है
प्राचीन अनाज और मिलेट के सेवन से डायबिटीज यानी मधुमेह के विभिन्न संकेतकों, जैसे कि इंसुलिन के स्तर, हीमोग्लोबिन A1c, उपवास रक्त ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल स्तरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अध्ययनों का एक बड़ा हिस्सा (96.5%) इस नतीजे पर पहुंचा है।
विशेष रूप से, ओट्स ने टाइप 2 मधुमेह वाले व्यक्तियों में कोलेस्ट्रॉल और उपवास रक्त ग्लूकोज स्तरों में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता दिखाई, जिसे पिछले शोधों ने भी समर्थित किया है।
इसके अतिरिक्त, ब्राउन राइस ने हीमोग्लोबिन A1c और शरीर के मास इंडेक्स (BMI) पर लाभदायक प्रभाव दिखाया, हालांकि अन्य रक्त शुगर और कोलेस्ट्रॉल मार्करों पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा। बाजरे ने शरीर के वजन पर उल्लेखनीय प्रभाव दिखाया, लेकिन अध्ययनकर्ताओं ने इस निष्कर्ष की व्याख्या करते समय सावधानी बरतने की सिफारिश की है, क्योंकि शामिल अध्ययनों में कुछ भ्रामक कारक मौजूद थे।
इसके विपरीत, चिया सीड्स के ज्ञात स्वास्थ्य लाभों के बावजूद, इस मेटा-विश्लेषण में उन्होंने मधुमेह मार्करों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखाया, जो संभवतः छोटे नमूना आकार के कारण हो सकता है।
इस अध्ययन से यह पता चलता है कि प्राचीन अनाज टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए लाभकारी हो सकते हैं, लेकिन अध्ययनों की भिन्नता के कारण परिणाम पूरी तरह विश्वसनीय नहीं हो सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने मधुमेह प्रबंधन के लिए प्राचीन अनाजों पर और अधिक मानकीकृत, गहराई से शोध करने की मांग की है। इन अध्ययनों में, जिन्हें विशेष रूप से ओट्स, ब्राउन राइस, कुट्टू, या चिया सीड्स पर केंद्रित किया गया था, कार्डियोवस्क्युलर जोखिम कारकों जैसे शरीर का वजन, रक्त शर्करा, और कोलेस्ट्रॉल पर महत्वपूर्ण परिणाम देखे गए
अध्यन के निष्कर्ष और नतीजे
इस अध्ययन के निष्कर्ष मधुमेह प्रबंधन में पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ आहारिक विकल्पों की महत्वपूर्णता को बढ़ावा देते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि संपूर्ण और अपरिष्कृत प्राचीन अनाजों का उपयोग मधुमेह के उपचार में बेहद गुणकारी और लाभकारी साबित होता है।
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