पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चुनाव के ठीक पहले BHU फिर सुर्खियों में है। कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर ओम शंकर अपने ही चिकित्सा अधीक्षक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। इस बाबत उन्होंने पीएम मोदी को भी खत लिखा.
क्या है पूरा मामला?
वाराणसी में एम्स का दर्जा प्राप्त BHU एक बार सुर्खियों में हैं। चुनाव के ठीक पहले यहां शुरू हुआ आमरण अनशन और गांधीगिरी चर्चा का विषय बना हुआ है।BHU के सर सुंदर लाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग में उपलब्ध बेड और मरीजों की संख्या में इतना गैप है की इलाज के अभाव में मरीजों को वापस लौटना पड़ता है और उनमें से कई असमय हीं काल के गाल में समा जाते हैं। हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ओम शंकर का आरोप है की जरूरत के मुताबिक बेड नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। नए बने सुपर स्पेशलिटी भवन में कार्डियोलॉजी के लिए आवंटित वार्ड पर चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर के के गुप्ता ने जबरन ताला लगा रखा है । इस बाबत डॉक्टर शंकर ने पिछले दिनों पीएम मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग भी की थी। डॉक्टर शंकर ने कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने चिकित्सा अधीक्षक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा की स्कूल ऑफ एम्मीनेंस के नाम पर आए फंड का भारी दुरुपयोग हुआ है।
डॉक्टर की गांधीगिरी
अनशन पर बैठे प्रोफेसर डॉक्टर ओम शंकर ने अपने चिकित्सकीय कर्तव्यों को नहीं छोड़ा और अपने नए और पुराने मरीजों का इलाज जारी रखा, लेकिन वे फर्श पर बैठकर ही मरीजों को देखते रहे। उनकी इस गांधीगिरी से न केवल विश्वविद्यालय परिसर में, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और नेपाल तक के दूर-दराज के क्षेत्रों से आए मरीजों और उनके परिजनों के बीच प्रभाव डाला।
मांगे पूरी न होने तक अनशन जारी
इससे पहले डॉक्टर शंकर ने कुलपति आवास के सामने अनशन की कोशिश लेकिन अनुमति न मिलने के बाद, प्रोफेसर ओमशंकर ने IMS में ही अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने फर्श पर बैठकर मरीजों का उपचार करना जारी रखा। इससे पहले कि वे कुलपति आवास के सामने अनशन शुरू करते, IMS के निदेशक और चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर ओमशंकर के घर पहुंचे और उनकी मांगों पर चर्चा की। हालांकि, निदेशक के आश्वासन के बावजूद प्रोफेसर ओमशंकर ने तत्काल कार्रवाई की मांग की। जब बात नहीं बनी, तो उन्होंने अनशन जारी रखने का निर्णय लिया।
जब वे कार्डियोलॉजी विभाग में पहुंचे और वहां फर्श पर बैठकर मरीजों को देखने लगे, तो वहां मौजूद मरीज और उनके तीमारदार उनके इस कदम से अनजान थे। लेकिन जल्द ही, प्रोफेसर ओमशंकर की इस अद्वितीय प्रतिरोध शैली की खबर ने चारों ओर तेजी से प्रसार पाया। ख़बर लिखे जाने तक डॉक्टर ओम शंकर अनशन पर अपनी मांगो को लेकर बैठे थे।
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