आपातकालीन स्थिति में, जब किसी व्यक्ति की सांसें रुक जाएं या दिल की धड़कन बंद हो जाए, तो CPR (कार्डियोपल्मोनरी रीससिटेशन) एक महत्वपूर्ण जीवन रक्षक तकनीक हो सकती है। इस प्रक्रिया को जानना और सही तरीके से करना बेहद जरूरी है। यहां CPR की विधि को सरल भाषा में समझाया गया है:
- मरीज़ की स्थिति का आकलन करें: अगर मरीज़ बेहोश हो गया है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो उसे सीधा पीठ के बल लिटा दें।
- मदद बुलाएं: आस-पास किसी को मदद के लिए बुलाएं और तुरंत निकटतम अस्पताल या एम्बुलेंस को कॉल करें। 108 एम्बुलेंस का आपातकालीन नंबर है जिसे तुरंत डायल किया जा सकता है।
- पल्स चेक करें: मरीज़ की कलाई या गर्दन पर पल्स चेक करें। इस प्रक्रिया में 5 से 10 सेकंड का समय लें। अगर पल्स नहीं मिल रही है और मरीज़ साँस नहीं ले रहा है, तो CPR शुरू करें।
- CPR शुरू करें:
- मरीज़ के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं।
- एक हाथ की हथेली को मरीज़ की छाती के बीच में रखें और दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ के ऊपर रखें।
- अपनी कोहनी को सीधा रखें और अपने कन्धों को मरीज़ की छाती के ऊपर सीधाई में रखें।
- अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए मरीज़ की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और अधिकतम 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें।
- यह प्रक्रिया एक मिनट में 100 से 120 बार करें।
- बीच में पल्स चेक करें: बीच-बीच में मरीज़ का पल्स चेक करते रहें। अगर पल्स वापस आ जाए तो CPR बंद कर दें।
- होश आने पर स्थिति बदलें: अगर मरीज़ थोड़ा होश में आ जाए, तो उसे बायीं करवट में लेटा दें ताकि वह आराम से सांस ले सके और अन्य जटिलताएं न हों।
इस तकनीक को सीखना और समय पर इस्तेमाल करना किसी की जान बचाने में निर्णायक साबित हो सकता है। CPR की जानकारी हर व्यक्ति के पास होनी चाहिए, खासकर घर में बुजुर्ग या बीमार लोगों की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्यों को।
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