Air Pollution

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र लिखकर वायु प्रदूषण से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर सतर्क किया है। पत्र में बदलते मौसम के मद्देनज़र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के खराब होने पर चिंता और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि जनहानि को रोका जा सके और जन स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।

वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य प्रभाव

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि वायु प्रदूषण न केवल तीव्र स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है बल्कि यह पुरानी बीमारियों को भी बढ़ावा देता है। इन बीमारियों में श्वसन, हृदय और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं। वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों के कारण समय से पहले मृत्यु दर में भी वृद्धि होती है।

खासतौर पर बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, पहले से बीमार लोग, और यातायात पुलिसकर्मियों व नगर निगम कर्मचारियों जैसे पेशेवर, जो प्रदूषण के अधिक संपर्क में आते हैं, इसके प्रति अधिक संवेदनशील हैं।

राज्यों को दिए गए निर्देश, करें ये उपाय

स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से कहा कि वे वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को मजबूत करें। इसमें निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:

1. जन जागरूकता अभियान: क्षेत्रीय भाषाओं में जन संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जाए।

2. स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण: स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करना और निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाना।

3. प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास: पराली जलाने, कचरा जलाने, और पटाखों के उपयोग को हतोत्साहित करना।

4. स्वास्थ्य परामर्श: नागरिकों को वायु गुणवत्ता सूचकांक की जानकारी देने और प्रदूषण से बचने के उपायों की सलाह देना।

सावधानी बरतने के उपाय

स्वास्थ्य सचिव ने नागरिकों को निम्नलिखित सावधानियां अपनाने की सलाह दी:

घर से बाहर निकलने से पहले AQI की जांच करें।

भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों और प्रदूषित स्थानों से बचें।

घरों में खाना पकाने और रोशनी के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करें।

आउटडोर गतिविधियों जैसे खेलकूद और व्यायाम को सीमित करें, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए।

प्रदूषण के कारण लक्षण बिगड़ने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

स्वास्थ्य विभाग के लिए दिशा-निर्देश

पत्र में राज्यों को सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय वायु प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) के तहत अपने क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त करें और स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान सक्रिय रखें। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग को ‘करने योग्य’ और ‘न करने योग्य’ उपायों के व्यापक प्रचार के लिए IEC संदेशों का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।

शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी

स्कूलों और घरों के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं। बच्चों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करने और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव के इस पत्र का उद्देश्य राज्यों को वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए बेहतर रणनीति और तैयारियों में मदद करना है। यह कदम बढ़ते प्रदूषण संकट के बीच जनस्वास्थ्य की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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