भारत में हृदय रोग तेजी से एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। यह देश में मृत्यु और बीमारियों के प्रमुख कारणों में से एक हो चुका है। आए दिन आप खबरों में पढ़ते है या आस पास लोगों को हृदय रोग का शिकार होते हुए देखते हैं। सोशल मीडिया में वायरल होते वीडियो हृदय रोग से तत्काल हो रही मौत के प्रति गंभीर चिंता जता रहे हैं।
हाल ही में हुए शोध और आंकड़ों से पता चलता है कि बदलती जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खान-पान, और शारीरिक गतिविधियों की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। हृदय रोग और उससे होने वाली मौत का आंकड़ा भारत में किसी महामारी से कम नहीं है।
हृदय रोग के बढ़ते मामले: क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में कुल मृत्यु दर का लगभग 28% हृदय रोगों के कारण होता है।
Lancet जर्नल में प्रकाशित 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 2.8 मिलियन लोग हृदय रोग से मरते हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत में 2010 के मुकाबले 2020 तक हृदय रोग के मामले दोगुने हो गए हैं।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
हृदय रोग के कारण
- जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं
फास्ट फूड, अधिक वसा और चीनी युक्त आहार, और शारीरिक गतिविधियों की कमी से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन भी महत्वपूर्ण कारक हैं।
- मधुमेह और उच्च रक्तचाप का बढ़ता खतरा
भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप के बढ़ते मामले हृदय रोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
Journal of Hypertension के अनुसार, भारत में लगभग 30% वयस्क उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं।
- तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
लंबे समय तक तनाव और खराब मानसिक स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव हृदय पर पड़ता है।
- जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक
भारतीय आबादी में हृदय रोग के लिए आनुवंशिक प्रवृत्ति अधिक है।
हालिया शोध और निष्कर्ष
- भारत में युवा पीढ़ी पर प्रभाव
Indian Heart Study 2023 के अनुसार, 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे (हार्ट अटैक) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
शोध में बताया गया कि युवा भारतीयों में हृदय रोग का मुख्य कारण अनियमित जीवनशैली और तनाव है।
- महिलाओं में बढ़ते मामले
पहले महिलाओं में हृदय रोग को अपेक्षाकृत कम देखा जाता था, लेकिन American Heart Association की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब महिलाओं में भी हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद।
- वायु प्रदूषण का प्रभाव
Lancet Planetary Health के 2024 के एक अध्ययन में यह पाया गया कि भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर, हृदय रोग के मामलों में वृद्धि कर रहा है।
रोकथाम और बचाव के उपाय
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
नियमित व्यायाम (कम से कम 30 मिनट रोजाना)।
संतुलित आहार जिसमें ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज शामिल हों।
तले हुए और वसायुक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी
धूम्रपान छोड़ने से हृदय रोग का खतरा 50% तक कम हो सकता है।
- नियमित स्वास्थ्य जांच
ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, और ब्लड शुगर की नियमित जांच।
शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज न करें, जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, या थकान।
- तनाव प्रबंधन
ध्यान (Meditation) और योग तनाव को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
हृदय रोग भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है, लेकिन इसे रोका जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, नियमित जांच कराने और सही समय पर इलाज लेने से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। जागरूकता और प्रारंभिक रोकथाम ही इस समस्या से निपटने का सबसे कारगर उपाय है।
हृदय रोग के प्रति सतर्क रहें, स्वस्थ रहें।
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