नई दिल्ली: वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन (WSO), फिक्की (FICCI), और इंडियन मेडिकल पार्लियामेंटेरियन्स फोरम (IMPF) के संयुक्त तत्वावधान में आज फेडरेशन हाउस, नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्ट्रोक सम्मेलन 2025 का आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव के साथ नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य संस्थानों, चिकित्सा विशेषज्ञों और उद्योग जगत के प्रमुख प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत में बढ़ते स्ट्रोक के खतरे को पहचानना और इसके रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाना है।
स्ट्रोक उपचार के लिए विशेष सुविधाओं का विस्तार
वर्तमान में देश भर में लगभग 500 स्ट्रोक यूनिट कार्यरत हैं। सरकार का उद्देश्य इन यूनिट्स का विस्तार करना है ताकि अधिक लोगों को विशेष देखभाल और सुविधाएं मिल सकें। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि स्ट्रोक रोकथाम और उपचार के लिए प्राथमिक रोकथाम रणनीतियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में प्राथमिकता दी गई है।
आयुष्मान भारत और स्ट्रोक देखभाल में योगदान
आयुष्मान भारत, जो देश की प्रमुख सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना है, न केवल स्ट्रोक देखभाल के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि इसके जोखिम कारकों को भी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) स्वास्थ्य संवर्धन के अग्रणी केंद्र हैं, जो हाईपरटेंशन, डायबिटीज, अस्वस्थ आहार और शारीरिक निष्क्रियता जैसे जोखिम कारकों की पहचान और प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने की दिशा में पहल
राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग नियंत्रण और रोकथाम कार्यक्रम (National Programme for Prevention and Control of NCDs) के तहत इन केंद्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करना और लोगों के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना है।
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने स्ट्रोक की बढ़ती चुनौती पर चर्चा की और इसके रोकथाम और उपचार के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
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