Dementia

हाल ही में आई रिपोर्टों और शोधों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि 55 साल और उससे अधिक उम्र के लगभग 42% लोग अपने जीवनकाल में डिमेंशिया से प्रभावित हो सकते हैं। यह आंकड़ा डिमेंशिया के बढ़ते प्रकोप को दर्शाता है, जो एक गंभीर मानसिक स्थिति है। डिमेंशिया में व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता और सामाजिक व्यवहार प्रभावित होते हैं।

हालिया अध्ययन:

डिमेंशिया के बढ़ते मामलों का कारण
एक हालिया अध्ययन, जो 2023 में प्रकाशित हुआ था, ने इस बात का खुलासा किया कि डिमेंशिया के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आयुर्वेदिक, आनुवंशिक, और जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं डिमेंशिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस अध्ययन में 55 से 80 साल की आयु के लगभग 5,000 लोगों को शामिल किया गया, और पाया गया कि 42% तक लोगों को उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और मोटापे जैसे कारकों को डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कारण के रूप में पहचाना गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी अनियमितताएं, जैसे खराब खानपान और शारीरिक निष्क्रियता, डिमेंशिया के विकास में एक प्रमुख कारण बन रही हैं। यह रिपोर्ट एक चेतावनी के रूप में सामने आई है, जो बताती है कि डिमेंशिया को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में सुधार आवश्यक है।

डिमेंशिया के लक्षण

डिमेंशिया के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरू में ध्यान में नहीं आते। हालांकि, जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती है, लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. याददाश्त की समस्याएं: किसी घटना, स्थान या व्यक्ति को भूल जाना।
  2. समय और स्थान में भ्रम: व्यक्ति को समय और स्थान का सही अंदाजा नहीं रहता।
  3. सोचने और निर्णय लेने में कठिनाई: किसी भी कार्य को करने में कठिनाई होना, जैसे खाना बनाना या वित्तीय निर्णय लेना।
  4. व्यवहार में परिवर्तन: सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना और लोगों से बातचीत करने में घबराहट महसूस करना।
  5. आवश्यक कार्यों को करने में असमर्थता: रोजमर्रा के कार्यों को संभालने में परेशानी।

डिमेंशिया के कारण और जोखिम कारक

  1. उम्र: उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया के खतरे का जोखिम बढ़ता है। 65 साल की उम्र के बाद इसका जोखिम दोगुना हो जाता है।
  2. आनुवंशिकता: यदि परिवार में किसी को डिमेंशिया हुआ है, तो जोखिम अधिक हो सकता है।
  3. हृदय रोग: उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी स्थितियां मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं।
  4. मस्तिष्क का शारीरिक नुकसान: चोट, स्ट्रोक या मस्तिष्क में कोई अन्य विकार।
  5. शारीरिक और मानसिक निष्क्रियता: मानसिक और शारीरिक गतिविधियों की कमी से मस्तिष्क का कार्य क्षमता कम हो सकती है।
  6. धूम्रपान और शराब का सेवन: ये आदतें मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करती हैं।

डिमेंशिया के खतरे को कम करने के उपाय

हालांकि डिमेंशिया को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां और जीवनशैली में बदलाव इस जोखिम को कम कर सकते हैं। हालिया शोधों में यह पाया गया है कि अगर व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाता है, तो वह डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकता है।

  1. संतुलित आहार का सेवन करें

आहार में बदलाव से मस्तिष्क स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।

मेडिटेरेनियन डाइट: इस आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फलों, सब्जियों, मछली, और नट्स को प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और डिमेंशिया के जोखिम को कम करता है।

साबुत अनाज और कम शक्कर वाले खाद्य पदार्थ: ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज मस्तिष्क के लिए लाभकारी होते हैं।

  1. मानसिक और शारीरिक सक्रियता बनाए रखें

मानसिक और शारीरिक व्यायाम मस्तिष्क को उत्तेजित करते हैं।

योग और ध्यान: नियमित रूप से योग और ध्यान करने से मानसिक स्थिति बेहतर रहती है।

समस्या सुलझाने वाले खेल: शतरंज, पहेलियां, और पजल्स मस्तिष्क को सक्रिय रखते हैं।

समाजिक संपर्क: परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है।

  1. व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें

नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम, जैसे चलना, दौड़ना या तैराकी, दिल और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है। यह रक्त संचार को बेहतर करता है और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखता है।

  1. हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखें

रक्तचाप, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना डिमेंशिया के जोखिम को कम करता है।

धूम्रपान और शराब से बचने की सलाह दी जाती है।

  1. नींद को प्राथमिकता दें

अच्छी नींद से मस्तिष्क के कार्य में सुधार होता है और तनाव कम होता है। रात में 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना आवश्यक है।

डिमेंशिया के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन अगर सही जीवनशैली अपनाई जाए और स्वास्थ्य संबंधी उचित कदम उठाए जाएं, तो इस जोखिम को कम किया जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, मानसिक सक्रियता और सही नींद इस बीमारी को दूर रखने में सहायक हो सकते हैं। समय रहते इसकी पहचान और इलाज से जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है। यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को डिमेंशिया के लक्षण दिखाई दें, तो तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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