आज, 4 फरवरी, विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर, भारत में कैंसर की वर्तमान स्थिति पर ध्यान देना आवश्यक है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देश में कैंसर के लगभग 14.6 लाख मामले थे, जो 2025 तक बढ़कर 15.7 लाख होने का अनुमान है। भारत जैसे देश के लिए यह अलार्मिंग स्थिति है।
प्रमुख कैंसर प्रकार
महिलाओं में सबसे अधिक स्तन, डिम्बग्रंथि (ओवरी) और गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर के मामले सामने आते हैं, जबकि पुरुषों में फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट कैंसर प्रमुख हैं। चिंताजनक बात यह है कि भारत में कैंसर का निदान औसतन कम उम्र में हो रहा है। उदाहरण के लिए, भारत में स्तन कैंसर का निदान औसतन 52 वर्ष की आयु में होता है, जबकि पश्चिमी देशों में यह 63 वर्ष है।
बढ़ते मामलों के कारण:
कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं, जिनमें तंबाकू और शराब का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, मोटापा, उच्च रक्तचाप, और बढ़ता प्रदूषण शामिल हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के शोध के अनुसार, वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में रहने से स्तन कैंसर की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
सरकार की पहल:
सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और स्क्रीनिंग के लिए जनसंख्या आधारित पहल शुरू की है। इसमें 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए स्क्रीनिंग शामिल है।
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि, तंबाकू और शराब के सेवन में कमी, और प्रदूषण नियंत्रण के माध्यम से कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, जागरूकता बढ़ाने और समय पर निदान के लिए सामुदायिक स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं। जानी मानी कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा शुक्ला का मानना है की कैंसर के खिलाफ लड़ाई और जागरूकता को 4 फरवरी तक सीमित नहीं रखा जा सकता , इससे संबंधित जागरूकता का लड़ाई को सालों भर जारी रखनी होगी।
https://x.com/drpragya_shukla/status/1886629030947946905?t=-vo1D7S8fZbwN4vAB6-fnQ&s=19
विश्व कैंसर दिवस हमें इस बढ़ती चुनौती के प्रति सचेत करता है और इसके रोकथाम और उपचार के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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