automated biomedical waste conversion rig

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एम्स, नई दिल्ली में “सृजनम” बायोमेडिकल वेस्ट कन्वर्ज़न रिग का शुभारंभ किया। यह नई तकनीक बायोमेडिकल कचरे के प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है।

किफायती और पर्यावरण हितैषी समाधान
सृजनम का विकास सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, तिरुवनंतपुरम ने किया है। यह प्रणाली महंगे और ऊर्जा-गहन इन्सीनेरेटर का उपयोग किए बिना रक्त, मूत्र, थूक और अन्य प्रयोगशाला कचरे जैसे खतरनाक बायोमेडिकल कचरे को पूरी तरह निष्क्रिय कर देती है।

इसकी सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यह बदबूदार कचरे को सुगंधित बना देती है, जिससे कचरे का प्रबंधन और निपटान आसान और सुरक्षित हो जाता है।

400 किलो प्रतिदिन क्षमता वाला सिस्टम
यह सिस्टम 400 किलो प्रति दिन तक के कचरे को संभालने की क्षमता रखता है। शुरुआती चरण में यह 10 किलो प्रतिदिन बायोडिग्रेडेबल मेडिकल वेस्ट को संभाल सकता है। इसे एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव और गैर-विषाक्त प्रकृति के लिए सफलतापूर्वक मान्यता दी गई है।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम पहल
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “सृजनम स्वास्थ्य क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए एक किफायती और सतत समाधान प्रदान करता है। यह नवाचार पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा।”

सीएसआईआर-एनआईआईएसटी के निदेशक डॉ. सी. आनंदहरामकृष्णन ने बताया, “यह तकनीक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षित और प्रभावी समाधान प्रदान करती है और संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोकने में सहायक होगी।”

निती आयोग और एम्स ने की सराहना
निती आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह तकनीक पर्यावरणीय बोझ को कम करने और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”

एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कहा, “यह वैज्ञानिक सहयोग की ताकत को दर्शाता है और यह दिखाता है कि एम्स स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में नवीनतम तकनीकों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए क्रांतिकारी समाधान
सृजनम अवैध बायोमेडिकल कचरा निपटान की समस्या को खत्म कर स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को साकार करने में मदद करेगा। इस प्रणाली के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थान कचरे के सुरक्षित और कानूनी निपटान का किफायती और सतत समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

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