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महावारी स्वास्थ्य और जागरूकता दिवस के अवसर पर दिल्ली स्थित एनजीओ सच्ची सहेली ने एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़े मिथकों को तोड़ना और इस विषय पर समाज में खुलकर बातचीत को बढ़ावा देना था। इस वर्ष की थीम “मेन फॉर मेंस्ट्रुएशन” रखी गई, जिससे यह संदेश दिया गया कि महावारी केवल महिलाओं का नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का विषय है, जिसमें पुरुषों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

दिल्ली में पैड यात्रा

कार्यक्रम की शुरुआत कनॉट प्लेस के इनर सर्कल से एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर तक पैड यात्रा के साथ हुई। इस यात्रा में एनडीएमसी और दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। छात्रों ने पैड के आकार के कार्ड्स लेकर मासिक धर्म से जुड़े सशक्त संदेश दिए। ढोल की धुन पर नाचते हुए और जोशीले नारों के साथ यह यात्रा समाज में यह संदेश देने में सफल रही कि मासिक धर्म एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे छिपाने की जरूरत नहीं है।

*पीरियड फेस्ट के विशेष ज़ोन”

पैड यात्रा के बाद पीरियड फेस्ट का आयोजन किया गया, जिसमें कई जानकारीपूर्ण और मनोरंजक ज़ोन बनाए गए:

हेल्थ ज़ोन: मासिक धर्म से जुड़ी सामान्य, असामान्य और गंभीर स्थितियों की जानकारी दी गई।

पैड ज़ोन: जहाँ पुन: उपयोग किए जाने वाले और डिस्पोजेबल सैनिटरी उत्पादों की जानकारी दी गई।

फन ज़ोन: छात्रों ने पीरियड से जुड़े स्नेक एंड लैडर गेम, स्पिन द व्हील और आंवला जूस क्विज़ के जरिए मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया।

विश ट्री: जहाँ छात्रों ने मासिक धर्म को लेकर अपने सपनों और इच्छाओं को लिखा।

सेल्फी पॉइंट: लाल डॉट बनाकर छात्रों ने यह संदेश दिया कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं है।

फेस पेंटिंग: रचनात्मक और कलात्मक टैटू बनवाकर छात्रों ने उत्साह बनाए रखा।

मुख्य अतिथि का संबोधन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री केशव चंद्र ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा, “सच्ची सहेली ने महावारी जैसे विषय पर इतने सरल और आत्मविश्वासपूर्ण तरीके से जागरूकता फैलाई है कि इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।”

इस अवसर पर डॉ. सुरभि सिंह ने बच्चों को मासिक धर्म से न डरने और इसे सामान्य जीवन का हिस्सा मानने का हौसला दिया।

कल्चरल प्रोग्राम और समापन समारोह

इस आयोजन में रंगमंच और नृत्य के माध्यम से महत्वपूर्ण संदेश दिए गए।

अस्मिता थिएटर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत नाटक ने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया।

कला और संस्कृति विभाग की नृत्य मंडली ने शानदार प्रस्तुति दी।

छात्रों ने भी नाटक और नृत्य के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम का समापन केक कटिंग सेरेमनी के साथ हुआ, जो पीरियड्स को सेलिब्रेट करने का एक नया तरीका था।

“मेन फॉर मेंस्ट्रुएशन” थीम की खास पहल

इस वर्ष के आयोजन ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि मासिक धर्म सिर्फ महिलाओं का विषय नहीं है, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। पुरुषों की भागीदारी से इस विषय पर हिचक और चुप्पी को तोड़ा जा सकता है।

यह आयोजन केवल जागरूकता बढ़ाने तक सीमित नहीं था, बल्कि मासिक धर्म को एक सामान्य जीवन प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करने के आंदोलन की शुरुआत थी। भविष्य में देशभर में इसी तरह के आयोजन किए जाएंगे ताकि समाज को मासिक धर्म के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाया जा सके।

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