हाल ही में पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जो स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। GBS एक दुर्लभ तंत्रिका विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और कभी-कभी लकवा हो सकता है।
वर्तमान स्थिति:
कुल मामले: पुणे में GBS के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 197 हो गई है, जिनमें से 172 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
मृत्यु: GBS के कारण अब तक 8 मरीजों की मौत हो चुकी है।
उपचाराधीन मरीज: 104 मरीजों को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, जबकि 50 मरीज अभी भी गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में हैं, जिनमें से 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
दूषित पानी से संबंध:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि पुणे के किर्कटवाड़ी क्षेत्र से एकत्रित पानी के नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) बैक्टीरिया पाया गया है। यह बैक्टीरिया दूषित पानी और भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है और GBS जैसे तीव्र ऑटोइम्यून विकारों को ट्रिगर कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, पुणे नगर निगम (PMC) ने खड़कवासला और सिंहगढ़ रोड के आसपास के क्षेत्रों में स्थित 25 निजी आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) जल शोधन संयंत्रों को बंद करने के आदेश दिए हैं, क्योंकि उनके द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पानी में हानिकारक संदूषक, जैसे कोलीफॉर्म बैक्टीरिया और ई. कोलाई, पाए गए हैं।
सावधानियां और सुझाव:
शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दें: यदि अचानक मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी या चलने में कठिनाई महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
स्वच्छ पानी का सेवन करें: केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं, क्योंकि दूषित पानी से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें: खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोने की आदत अपनाएं।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करें: स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों और सलाह का पालन करें।
स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे स्वच्छता के नियमों का सख्ती से पालन करें और किसी भी संदिग्ध लक्षण के प्रकट होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। समय पर सतर्कता और उचित देखभाल से GBS के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
Comments