Digestion Problems

भारत में विविध मौसम और जलवायु परिवर्तन न केवल जीवनशैली को प्रभावित करते हैं, बल्कि आंतों के स्वास्थ्य (गट हेल्थ) पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। सर्दियों में कब्ज़, गर्मियों में डिहाइड्रेशन और मानसून में संक्रमण जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसमी बदलाव के कारण पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली बदल सकती है, खासकर उन लोगों में जिन्हें इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या गैस्ट्रिक समस्याएं होती हैं। इसके पीछे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और मौसम के अनुकूल न हो पाने की प्रवृत्ति मुख्य कारण है।

सर्दियों में कब्ज़ क्यों बढ़ता है?

सर्दियों के महीनों में कब्ज़ और अन्य पाचन समस्याओं की शिकायतें अधिक सामने आती हैं। इसका प्रमुख कारण कम शारीरिक सक्रियता, डिहाइड्रेशन और आहार में बदलाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। आइए जानते हैं सर्दियों में कब्ज़ के पीछे छिपे कुछ मुख्य कारण:

  1. कम शारीरिक गतिविधि:
    ठंड के कारण लोग बाहर कम निकलते हैं और व्यायाम करने से बचते हैं। इससे पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज़ और सूजन की समस्या हो सकती है।
  2. भारी और तैलीय भोजन:
    सर्दियों में लोग गरम और तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं। वसा और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर ये भोजन पचने में अधिक समय लेते हैं और कब्ज़ की समस्या को बढ़ाते हैं।
  3. डिहाइड्रेशन:
    ठंड में प्यास कम लगती है, जिससे पानी का सेवन घट जाता है। नतीजतन, पाचन क्रिया प्रभावित होती है और मल कठोर हो जाता है।
  4. धीमा मेटाबॉलिज्म:
    सर्दियों में शरीर ऊर्जा संचित करने के लिए मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है। इससे पाचन तंत्र की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और आंतों की सफाई में परेशानी होती है।
  5. शुष्क हवा का प्रभाव:
    ठंड में हवा में नमी की कमी से आंतरिक अंगों में सूखापन आ जाता है, जिससे मल त्याग में कठिनाई होती है।
  6. गट माइक्रोबायोटा में बदलाव:
    मौसम में बदलाव होने पर आंतों में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया (गट माइक्रोबायोटा) की संरचना प्रभावित होती है, जिससे पाचन में दिक्कत हो सकती है।
  7. मौसमी अवसाद (SAD):
    सर्दियों में डिप्रेशन या मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी पाचन को प्रभावित करती हैं। तनाव और अवसाद का सीधा असर आंतों की गति और पाचन क्रिया पर पड़ता है।

मौसमी बदलाव में हाइड्रेशन क्यों है ज़रूरी?

पानी शरीर की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है, जो पाचन प्रक्रिया को सुचारू रखने में मदद करता है। गर्मियों में जहां पसीने के जरिए पानी की कमी हो जाती है, वहीं सर्दियों में प्यास कम लगती है, जिससे शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है।

गर्मियों में: पसीने के रूप में शरीर से पानी निकलता है, जिससे थकान, सिरदर्द और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में नियमित रूप से पानी, नारियल पानी और छाछ का सेवन जरूरी होता है।

सर्दियों में: हीटर और ठंडी हवा से त्वचा और आंतों में सूखापन आ जाता है। पानी की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है और कब्ज़ की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में गुनगुना पानी, सूप और हर्बल चाय का सेवन फायदेमंद होता है।

हाइड्रेशन टिप:
चाहे सर्दी हो या गर्मी, रोजाना 2.5-3 लीटर पानी पीना जरूरी है। सर्दियों में गर्म पेय और सूप का सेवन शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

मौसमी भारतीय खाद्य पदार्थ जो आंतों को रखें स्वस्थ

आयुर्वेद में आहार को मौसम के अनुसार बदलने की सलाह दी गई है। मौसमी फलों और सब्जियों में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो गट हेल्थ को सुधारने में मदद करते हैं।

  1. गर्मियों में:

तरबूज: पानी की अधिकता से शरीर हाइड्रेटेड रहता है और पाचन आसान होता है।

खीरा: फाइबर और पानी से भरपूर, जो पेट को ठंडा रखता है।

आम: फाइबर और एमाइलेज एंजाइम से युक्त, जो पाचन में सहायक होता है।

लौकी: फाइबर से भरपूर, आंतों की सफाई में मददगार।

छाछ (बटरमिल्क): प्रोबायोटिक्स से युक्त, जो गट बैक्टीरिया को संतुलित करता है।

  1. सर्दियों में:

गाजर: फाइबर से भरपूर, कब्ज़ से राहत दिलाने में सहायक।

चुकंदर: फाइबर और नाइट्रेट्स से युक्त, जो आंतों की गति सुधारता है।

मूली: पाचन में मददगार और लिवर को डिटॉक्स करता है।

पालक: मैग्नीशियम और फाइबर का स्रोत, जो पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।

तिल (सेसमे सीड्स): हेल्दी फैट्स और फाइबर से युक्त, जो मल त्याग को आसान बनाते हैं।

  1. मानसून में:

पपीता: पपेन एंजाइम से भरपूर, जो प्रोटीन पचाने में मदद करता है।

केला: पोटैशियम और फाइबर का स्रोत, जो पेट की सूजन को कम करता है।

मूंग दाल: आसानी से पचने वाली प्रोटीन से भरपूर दाल, जो गट हेल्थ को सुधारती है।

अदरक: सूजन और गैस से राहत दिलाने में कारगर।

हल्दी: सूजन-रोधी गुणों से युक्त, जो पाचन को मजबूत बनाती है।

पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने के सुझाव:

  1. मौसमी फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें।
  2. नियमित रूप से व्यायाम करें, चाहे वह हल्की वॉक ही क्यों न हो।
  3. हाइड्रेशन का विशेष ध्यान रखें।
  4. प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  5. तनाव को प्रबंधित करें, क्योंकि यह गट हेल्थ को सीधे प्रभावित करता है।

मौसमी बदलाव के दौरान आंतों का स्वास्थ्य प्रभावित होना सामान्य है, लेकिन सही आहार, पर्याप्त पानी और सक्रिय जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में हर मौसम में मिलने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थ आंतों के स्वास्थ्य को संपूर्ण पोषण प्रदान करते हैं। ऐसे में, स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमें प्रकृति के अनुसार आहार में बदलाव और शरीर को हाइड्रेटेड रखने की आदत अपनानी चाहिए।

डिस्क्लेमर: किसी भी मेडिकल इश्यू के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। यह आर्टिकल जानकारी और अवेयरनेस के लिए है।

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