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एम्स दिल्ली से रूमेटोलॉजी मरीजों के लिए राहत भरी खबर आई है। अब रूमेटोलॉजी से पीड़ित मरीजों के लिए 20 समर्पित बेड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुविधा लंबे समय से प्रतीक्षित थी और जल्द ही इसे मरीजों के लिए शुरू किया जाएगा। इस सुविधा की औपचारिक शुरुआत 21 फरवरी को होने जा रही है।

रूमेटोलॉजी विभाग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

एम्स दिल्ली में रूमेटोलॉजी सेवाओं की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी, जब भारत में इस चिकित्सा क्षेत्र के बारे में जागरूकता बहुत कम थी। यह सेवा 2015 तक मेडिसिन विभाग के अंतर्गत संचालित होती रही। इस संस्थान में रूमेटोलॉजी को आकार देने में डॉ ए ऐन मालवीय , डॉ. रोहिणी हांडा समेत कई अन्य विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। हालांकि, उनके एम्स से जाने के बाद, रूमेटोलॉजी विभाग को अपनी अथक मेहनत से संभालने का कार्य डॉ. उमा कुमार ने किया, जो वर्तमान में रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख (एचओडी) हैं।

डॉ. उमा कुमार की भूमिका और योगदान

डॉ. उमा कुमार ने 1996 में एम्स में आने के बाद इस क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त किया। इनमें से एक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ को ‘रूमेटोलॉजी का जनक’ भी कहा जाता है।

2009 से 2016 तक डॉ. उमा एम्स में रूमेटोलॉजी सेवाओं की एकमात्र फैकल्टी थीं। उन्होंने अपने प्रयासों से २०१५ में रूमेटोलॉजी का एक अलग विभाग बनाया। रेसिडेंट डॉक्टर्स और फैकल्टी के नए पदों का सृजन कर विभाग को मजबूती प्रदान की जिस से की मरीजों को और बेहतर सुविधा प्रदान की जा सके । इस यात्रा में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन यह विभाग को और सशक्त बनाने का अवसर भी था।

नई सुविधाओं और विस्तार की दिशा में कदम

एम्स दिल्ली ने 2012 में रूमेटिक बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए डे-केयर सुविधा शुरू कर एक महत्वपूर्ण पहल की। 2015 में जब एम्स में आधिकारिक रूप से रूमेटोलॉजी विभाग की स्थापना हुई, तब उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी अगुवाई में इस दिशा में इतना बड़ा विस्तार संभव होगा। 2016 में विभाग में चार और फैकल्टी जोड़ी गईं, जिससे मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सका। इसके अलावा ऑक्यूपेशनल थेरेपी और वोकेशनल काउंसलिंग और विशिष्ट लैब टेस्ट्स सेवाओं की उपलब्धटा भी सुनिश्चित की ।

रूमेटोलॉजी विभाग का महत्व

रूमेटोलॉजी विभाग का मुख्य उद्देश्य हड्डियों, जोड़ों, मांसपेशियों और संयोजी ऊतकों से जुड़ी बीमारियों का उपचार करना है। इस विभाग में गठिया (आर्थराइटिस), ल्यूपस, एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, सोरायसिस आर्थराइटिस, गाउट, ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज किया जाता है।

मरीजों को होने वाले लाभ

इस नई सुविधा के शुरू होने से मरीजों को और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। समर्पित बेड होने से गंभीर रोगियों को त्वरित और उन्नत चिकित्सा उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही, अनुसंधान और नए उपचार विकल्पों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भविष्य में इस क्षेत्र में और अधिक प्रगति हो सकेगी।

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भारत में रूमेटोलॉजी विभाग की स्थिति

भारत में पहला रूमेटोलॉजी विभाग 1990 के दशक में मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई में स्थापित किया गया था जहाँ सिर्फ़ साउथ के विद्यार्थी ही शिक्षा प्राप्त कर सकते थे । अब एम्स दिल्ली में लंबे समय से प्रतीक्षित इनडोर सुविधा की शुरुआत होने जा रही है, जो मरीजों और विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। अब जल्दी ही डीएम प्रोग्राम की शुरुआत होने की संभावना है। वैसे इस विभाग में देश – विदेश से डॉक्टर्स ट्रेनिंग के लिए एट रहते है ।

आभार और धन्यवाद

डॉ. उमा कुमार ने इस अवसर पर एम्स के निदेशक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का आभार जताते हुए ट्वीट किया और उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

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