क्या आप भी नोटिफिकेशन की घंटी से परेशान हैं?
सोचिए, आप अपने काम में मग्न हैं और अचानक फोन पर नोटिफिकेशन की आवाज आती है। आप ध्यान भटकाकर फोन उठाते हैं, यह देखने के लिए कि क्या कोई जरूरी संदेश आया है। लेकिन आपको सिर्फ टेलीकॉम कंपनी का एक और एसएमएस मिलता है। आप निराश होकर फोन रख देते हैं। फिर अगली बार नोटिफिकेशन बजते ही दोबारा फोन उठाते हैं। यह सिलसिला बार-बार चलता रहता है। क्या यह स्थिति आपको जानी-पहचानी लगती है? अगर हां, तो हो सकता है कि आप ‘नोटिफिकेशन एंग्जायटी’ के शिकार हों। आइए समझते हैं कि यह क्या है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर इसका क्या असर पड़ता है।
नोटिफिकेशन एंग्जायटी क्या है?
नोटिफिकेशन एंग्जायटी वह मानसिक तनाव या बेचैनी है, जो बार-बार फोन, ईमेल या अन्य डिजिटल डिवाइसेज़ पर नोटिफिकेशन आने से होती है। आज की डिजिटल दुनिया में लोग तुरंत जवाब देने का दबाव महसूस करते हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, “बहुत अधिक नोटिफिकेशन दिमाग पर बोझ डालते हैं। बार-बार फोन चेक करने की आदत और ‘कुछ मिस न हो जाए’ का डर, शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज़ करता है। इससे मानसिक तनाव बढ़ता है और डिजिटल एडिक्शन होने लगता है। हर नए नोटिफिकेशन पर ध्यान देने से दिमाग को डोपामिन का हल्का सा आनंद मिलता है, जिससे यह आदत और बढ़ जाती है।”
फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) भी एक कारण
सोशल मीडिया अपडेट, ऑफिस ईमेल और मैसेज अलर्ट्स हमें हर समय जुड़े रहने के लिए मजबूर करते हैं। इस कारण लोग बार-बार अपना फोन चेक करने लगते हैं। यहां तक कि कई बार हमें ‘फैंटम नोटिफिकेशन’ महसूस होते हैं—यानि हमें लगता है कि फोन बजा, लेकिन असल में कोई नोटिफिकेशन नहीं आया। यह भी नोटिफिकेशन एंग्जायटी का एक संकेत हो सकता है।
लगातार नोटिफिकेशन के मानसिक और शारीरिक प्रभाव
ध्यान भंग होना: बार-बार फोन बजने से ध्यान भटकता है और एकाग्रता कम हो जाती है। इससे काम की गति धीमी होती है और मानसिक थकान बढ़ती है।
चिंता और चिड़चिड़ापन: लगातार अलर्ट सुनने से दिमाग हर समय अलर्ट मोड में रहता है, जिससे एंग्जायटी और इरिटेशन महसूस हो सकता है।
नींद पर असर: रात में बार-बार फोन चेक करने से नींद खराब होती है, जिससे शरीर और दिमाग को पूरा आराम नहीं मिल पाता।
शारीरिक परेशानी: लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन और कमर या गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है।
कैसे कम करें नोटिफिकेशन एंग्जायटी?
विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ आसान उपाय अपनाकर हम इस समस्या से बच सकते हैं:
गैर-ज़रूरी नोटिफिकेशन बंद करें: – सोशल मीडिया और अन्य अनावश्यक ऐप्स के नोटिफिकेशन म्यूट करें।
‘डू नॉट डिस्टर्ब’ मोड का इस्तेमाल करें: – काम, खाने और सोने के दौरान फोन को साइलेंट पर रखें।
मैसेज तय समय पर चेक करें: – हर नोटिफिकेशन पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय, दिन में कुछ समय तय करें जब आप ईमेल और मैसेज देखें।
सोशल मीडिया की समय-सीमा तय करें: – सोशल मीडिया पर बिताया गया समय सीमित करने से इसकी लत कम होगी।
डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: – दिन में कुछ समय फोन और लैपटॉप से दूर रहें और रियल वर्ल्ड में ध्यान लगाएं।
सोते समय फोन दूर रखें: – रात में फोन को बेड से दूर रखने से नींद में सुधार होगा।
वर्क-लाइफ बैलेंस बनाएं: – अपने सहकर्मियों और परिवार को बताएं कि किस समय आप उपलब्ध रहेंगे और कब नहीं।
नोटिफिकेशन एंग्जायटी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए डिजिटल दुनिया में सतर्क रहते हुए अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। अपने फोन पर नियंत्रण रखें, न कि उसे अपने जीवन पर हावी होने दें!
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