भारत के पांच जिला अस्पतालों में विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (SNCU) में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। लांसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, इन अस्पतालों में भर्ती नवजात शिशुओं में सेप्सिस (रक्त संक्रमण) के मामलों की दर चिंताजनक रूप से अधिक है, और इनमें से अधिकांश मामलों में जीवाणु (बैक्टीरिया) कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधी (मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट) पाए गए हैं।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
अध्ययन में 6612 नवजात शिशुओं को शामिल किया गया, जिनमें से 3357 (50.8%) को सेप्सिस का संदेह था।
इनमें से 213 (3.2%) में कल्चर-पॉजिटिव सेप्सिस की पुष्टि हुई, जो विभिन्न अस्पतालों में 0.6% से 10% तक के दायरे में थी।
बाहरी अस्पतालों से लाए गए (आउटबोर्न) नवजात शिशुओं में सेप्सिस की दर 5.0% पाई गई, जो कि अस्पताल में जन्मे (इनबोर्न) नवजातों (2.0%) की तुलना में ढाई गुना अधिक थी।
सेप्सिस से मृत्यु दर 36.6% दर्ज की गई, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।
सेप्सिस के लिए जिम्मेदार 70% बैक्टीरिया ग्राम-नेगेटिव थे, जिनमें Klebsiella pneumoniae, Escherichia coli और Enterobacter spp प्रमुख थे।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध की खतरनाक प्रवृत्ति
अध्ययन में यह भी पाया गया कि सेप्सिस उत्पन्न करने वाले अधिकांश बैक्टीरिया सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी थे:
Klebsiella pneumoniae के 84.3%, Escherichia coli के *84.8% और Enterobacter spp के 88.5% नमूने मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट पाए गए।
Acinetobacter baumannii के 75% नमूने भी मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट थे।
संक्रमण नियंत्रण और उपचार प्रबंधन की आवश्यकता
अध्ययन के लेखकों ने जोर दिया कि भारत के जिला अस्पतालों में संक्रमण रोकथाम उपायों को मजबूत करने, ब्लड कल्चर जांच सुविधाएं स्थापित करने और एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू करने की सख्त जरूरत है।
मुख्य सुझाव:
- संक्रमण नियंत्रण: अस्पतालों में स्वच्छता और सेनेटाइजेशन के मानकों को सुधारने की आवश्यकता है।
- ब्लड कल्चर परीक्षण: सही उपचार के लिए प्रत्येक संदिग्ध मामले में रक्त परीक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- एंटीबायोटिक प्रबंधन: डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि प्रतिरोधी बैक्टीरिया का खतरा कम हो।
सरकारी नीति और भविष्य की रणनीति
अध्ययन में यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और राज्य सरकारों को जिला अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए समर्पित कार्यक्रम शुरू करने चाहिए।
यह अध्ययन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) नई दिल्ली, JIPMER पुडुचेरी, AIIMS रायपुर, असम मेडिकल कॉलेज और AIIMS जोधपुर के विशेषज्ञों द्वारा किया गया, और इसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया गया था।
भारत में नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए इस अध्ययन के निष्कर्षों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में नवजात शिशुओं को सेप्सिस और मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट संक्रमणों से बचाया जा सके।
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