obesity in India

AIIMS दिल्ली ने वर्ल्ड ओबेसिटी डे पर देश बढ़ते मोटापे के खतरे पर अलार्म बैल बजाया। एम्स ने मोटापे को बताया ‘साइलेंट डिजीज’

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली ने वर्ल्ड ओबेसिटी डे के अवसर पर एक प्रेस मीट का आयोजन किया, जिसमें मोटापे से जुड़े गंभीर स्वास्थ्य खतरों, जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता और आवश्यक होने पर सर्जरी के महत्व पर चर्चा की गई। यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में घोषित ओबेसिटी चैलेंज के संदेश को आगे बढ़ाने की दिशा में था, जिसका उद्देश्य भारत में मोटापे के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके खिलाफ कार्रवाई को तेज करना है।

मोटापा सिर्फ सौंदर्य की समस्या नहीं, बल्कि गंभीर बीमारी: डॉक्टरों की चेतावनी

प्रेस मीट में AIIMS के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम किशोर (मेडिसिन विभाग) ने बताया कि मोटापा सिर्फ एक कॉस्मेटिक समस्या नहीं, बल्कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) का एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि मोटापा एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, जिसे सही खानपान और शारीरिक सक्रियता से रोका जा सकता है। भारतीय आबादी में बीएमआई (BMI) और कमर की चौड़ाई मोटापे के महत्वपूर्ण मापदंड हैं, और इसे समय पर नियंत्रित करना आवश्यक है।

खाने में छिपी चर्बी से बचना जरूरी: डॉ. परमीत कौर

AIIMS की मुख्य डाइटिशियन डॉ. परमीत कौर ने प्रोसेस्ड फूड में छिपी वसा के खतरों पर प्रकाश डाला और कहा कि कई खाद्य पदार्थ हमारी दैनिक आवश्यकताओं से अधिक वसा प्रदान करते हैं, जिससे मोटापा बढ़ता है। उन्होंने पारंपरिक भोजन पद्धतियों को अपनाने, तेल की मात्रा कम करने और लो-फैट प्रोटीन लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “लोग कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन पर ध्यान देते हैं, लेकिन छिपी हुई चर्बी (इनविजिबल फैट) पर ध्यान नहीं देते, जो मोटापे का बड़ा कारण है।”

जब एक्सरसाइज और डाइट न काम करे तो सर्जरी हो सकती है विकल्प: डॉ. असुरी कृष्णा

AIIMS के सर्जिकल विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. असुरी कृष्णा ने कहा कि सर्जरी केवल अंतिम विकल्प होनी चाहिए, जब जीवनशैली में बदलाव से वजन नियंत्रित न हो पाए और व्यक्ति की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने लगें। उन्होंने प्रतिबंधात्मक (restrictive) और अवशोषण-रोधी (malabsorptive) सर्जरी की विभिन्न तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि “सर्जरी कोई जादुई समाधान नहीं है, इसके बाद भी सही खानपान और व्यायाम जरूरी है। गलत लाइफस्टाइल अपनाने से वजन फिर बढ़ सकता है।”

बैरिएट्रिक सर्जरी सुरक्षित, लिपोसक्शन मोटापे का इलाज नहीं: डॉ. मनजुनाथ मारुति

सर्जिकल विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मनजुनाथ मारुति ने बताया कि मोटापा हजारों सालों से मौजूद है और यह आनुवंशिकी व हार्मोनल कारणों से भी प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि डाइट और एक्सरसाइज सबसे जरूरी हैं, लेकिन जब ये प्रभावी न हों, तो बैरिएट्रिक सर्जरी जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लिपोसक्शन कोई मोटापा कम करने की तकनीक नहीं है, बल्कि यह केवल शरीर के आकार को बेहतर करने के लिए की जाती है।

बॉडी कॉनटूरिंग सर्जरी पर बढ़ रही मांग: डॉ. शिवांगी साहा

प्लास्टिक, रिकंस्ट्रक्टिव और बर्न सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवांगी साहा ने बताया कि वजन घटाने के बाद त्वचा में ढीलापन आ जाता है, जिसे ठीक करने के लिए बॉडी कॉनटूरिंग सर्जरी की जरूरत पड़ती है। उन्होंने सलाह दी कि ऐसी सर्जरी केवल प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में करानी चाहिए और वजन घटाने की दवाओं पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “बॉडी कॉनटूरिंग सर्जरी उन लोगों के लिए सुरक्षित है जिनका BMI 30 से कम हो और जिन्हें मोटापे से जुड़ी कोई अन्य बीमारी न हो।”

AIIMS ने मोटापे के खिलाफ सामूहिक प्रयास की अपील की

प्रेस मीट के अंत में AIIMS दिल्ली ने मोटापे को एक दीर्घकालिक, बढ़ने वाली बीमारी (chronic, progressive disease) बताया और इस पर नियंत्रण पाने के लिए जल्दी पहचान, लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित इलाज को अपनाने की अपील की। AIIMS ने मोटापे की समस्या से निपटने के लिए रिसर्च, शिक्षा और मरीजों की देखभाल को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।

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