अगर आप ताजगी के लिए च्युइंग गम चबाते हैं तो ज़रा सतर्क हो जाएं। UCLA (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलेस) के वैज्ञानिकों की नई रिसर्च में दावा किया गया है कि गम चबाने से आपके मुंह में हजारों माइक्रोप्लास्टिक कण घुल सकते हैं – और यही प्लास्टिक आपके शरीर में जाकर गंभीर बीमारियों की वजह बन सकते हैं।
क्या कहती है स्टडी?
UCLA के वैज्ञानिकों ने 10 अलग-अलग गम ब्रांड्स की जांच की – 5 सिंथेटिक और 5 प्राकृतिक।
एक टुकड़ा गम चबाने से औसतन 100 से 600 माइक्रोप्लास्टिक कण निकलते हैं।
साल में अगर आप 180 गम खाते हैं तो लगभग 30,000 प्लास्टिक कण आपके शरीर में जा सकते हैं।
स्वास्थ्य पर क्या असर?
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये प्लास्टिक कण शरीर में सूजन, डीएनए डैमेज और अंगों की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, इसके लॉन्ग टर्म प्रभावों पर अभी और रिसर्च की ज़रूरत है।
पर्यावरण को भी नुकसान
सड़क पर फेंका गया गम सड़ता नहीं, बल्कि सालों तक वही पड़ा रहता है और धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक में बदलकर मिट्टी और जल स्रोतों को भी प्रदूषित करता है।
क्या है समाधान?
प्राकृतिक गम चुनें: अब ऐसे विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं जो प्लास्टिक-फ्री और बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
गम का सही निपटान करें: गम को कूड़ेदान में डालें, कहीं भी ना फेंकें।
जरूरत से ज्यादा ना चबाएं: गम को आदत नहीं, occasional इस्तेमाल तक सीमित रखें।
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