पार्किंसन रोग (Parkinson’s Disease – PD) एक प्रगतिशील न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मुख्य रूप से शरीर की गति और संतुलन को प्रभावित करता है। यह रोग मस्तिष्क के एक भाग सब्स्टैंशिया नाइग्रा (Substantia Nigra) की डोपामिन बनाने वाली कोशिकाओं के धीरे-धीरे क्षीण होने से होता है।
डोपामिन की कमी से शरीर में कंपकंपी, गतिशीलता में धीमापन, मांसपेशियों में जकड़न और चलने में परेशानी जैसे लक्षण उभरते हैं। लेकिन इससे कहीं अधिक गंभीर होते हैं इसके गैर-गतिशील लक्षण जैसे – नींद की गड़बड़ी, डिप्रेशन, गंध की क्षमता में कमी और पाचन समस्याएं।
Parkinson Disease के मुख्य कारण:
AIIMS दिल्ली के न्यूरोलॉजी विशेषज्ञों के अनुसार, पार्किंसन का मुख्य कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके पीछे निम्नलिखित कारक हो सकते हैं:
आनुवंशिक प्रवृत्ति: कुछ जीन में बदलाव इस बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव: कीटनाशकों, भारी धातुओं और प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क से जोखिम बढ़ सकता है।
उम्र: 60 वर्ष से अधिक उम्र में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं।
न्यूरोटॉक्सिक एक्सपोज़र: कुछ रसायन मस्तिष्क की डोपामिन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भारत में क्यों बढ़ रही है Parkinson Disease की समस्या?
AIIMS दिल्ली के अनुसार, भारत में लगभग 6 लाख लोग पार्किंसन से पीड़ित हैं, जो वैश्विक संख्या का लगभग 10% है।
इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण हैं:
उम्रदराज़ जनसंख्या में वृद्धि
लंबी उम्र की औसत
शहरी जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों की कमी
बढ़ता तनाव और खराब नींद की गुणवत्ता
बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी और देर से निदान
क्या है इसका इलाज?
AIIMS जैसे प्रमुख संस्थानों में पार्किंसन का इलाज आधुनिक तकनीकों से किया जा रहा है:
दवाइयां (Levodopa आदि)
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS):
एक सर्जिकल प्रक्रिया जिसमें मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं जो विशेष विद्युत संप्रेषण देकर लक्षणों को नियंत्रित करते हैं। DBS से मरीजों की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। AIIMS में यह सस्ती दरों पर उपलब्ध है।
फिजियोथेरेपी और काउंसलिंग
क्या पार्किंसन रोका जा सकता है?
हालांकि यह पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन AIIMS के विशेषज्ञों के अनुसार नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली से इसके खतरे को कम किया जा सकता है:
नियमित एरोबिक एक्सरसाइज़ (जैसे चलना, तैरना, योग, डांसिंग आदि)
स्वस्थ खानपान और नींद का ध्यान
तनाव प्रबंधन और मानसिक संतुलन
समय पर जांच और विशेषज्ञ सलाह
AIIMS का संदेश:
AIIMS दिल्ली के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. मंजारि त्रिपाठी कहती हैं, “पार्किंसन को हराना संभव है, अगर सही समय पर निदान और समग्र इलाज मिले। DBS जैसी तकनीकें रोगियों को दोबारा सक्रिय जीवन देने में मदद कर रही हैं।”
न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रो. विवेक टंडन कहते हैं, “हमारा लक्ष्य सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि रोगी को आत्मनिर्भर बनाना है।”
निष्कर्ष:
पार्किंसन एक लाइलाज नहीं, बल्कि जीवनशैली से प्रबंधनीय रोग है। आधुनिक तकनीक, सही देखभाल और जागरूकता से हर व्यक्ति इस चुनौती का सामना कर सकता है।
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