दिल की बीमारियों से जुड़ी 3.5 लाख मौतों के लिए ज़िम्मेदार रसायन आपके घर में मौजूद !
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक और कॉस्मेटिक उत्पादों में मौजूद एक सामान्य रसायन “फ्थेलेट्स” (Phthalates) अब एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में दावा किया गया है कि वर्ष 2018 में पूरी दुनिया में दिल की बीमारियों से जुड़ी 3.5 लाख से अधिक मौतों का संबंध फ्थेलेट्स के संपर्क से है।
यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल eBioMedicine में प्रकाशित हुआ है और इसमें दुनिया भर के 66 देशों के डेटा का विश्लेषण किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 55 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में हृदय रोग से हुई मौतों में से लगभग 13% फ्थेलेट्स के संपर्क से जुड़ी हो सकती हैं।
Phthalates क्या हैं?
फ्थेलेट्स प्लास्टिक को मुलायम और लचीला बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन हैं। ये रसायन हमारे चारों ओर हैं — खाद्य पैकेजिंग, पानी की बोतलें, प्लास्टिक कंटेनर, सौंदर्य प्रसाधन, खिलौने और यहां तक कि मेडिकल ट्यूब्स में भी पाए जाते हैं।
ये”एंडोक्राइन-डिसरप्टिंग केमिकल्स” माने जाते हैं, यानी ऐसे रसायन जो शरीर के हार्मोन सिस्टम को बाधित कर सकते हैं। इनसे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल हैं:
हृदय रोग और उच्च रक्तचाप
मोटापा और मधुमेह
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होना
बच्चों में व्यवहार संबंधी विकार जैसे ADHD
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
अध्ययन में यह भी बताया गया कि इन मौतों का 75% हिस्सा एशिया, मध्य पूर्व और प्रशांत क्षेत्र में था, जो यह दर्शाता है कि फ्थेलेट्स का खतरा केवल विकसित देशों तक सीमित नहीं है। विकासशील देशों में प्लास्टिक की खपत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर अभी भी सीमित ध्यान दिया जा रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
अमेरिका के न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के वरिष्ठ शोधकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक डॉ. लियोनार्डो ट्रासांडे कहते हैं, “हम फ्थेलेट्स को पश्चिमी देशों की समस्या मानते हैं, लेकिन यह वैश्विक स्तर पर जीवन की गुणवत्ता और मृत्यु दर को प्रभावित कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि “अगर इस दिशा में ठोस नीतिगत कदम नहीं उठाए गए, तो अगले कुछ दशकों में यह संकट और भी बड़ा रूप ले सकता है।”
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
हालांकि, प्लास्टिक और रसायन उद्योगों ने इस अध्ययन पर सवाल उठाए हैं। अमेरिका स्थित फ्लेक्सिबल विनाइल एलायंस के कार्यकारी निदेशक केविन ओट का कहना है, “यह अध्ययन अधूरे डेटा और अव्यवस्थित विश्लेषण पर आधारित है। फ्थेलेट्स का जोखिम वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध नहीं हुआ है।”
2018 में अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने यह भी कहा था कि फ्थेलेट्स को स्पष्ट रूप से किसी गंभीर स्वास्थ्य खतरे से नहीं जोड़ा गया है। हालांकि, शोधकर्ता इस निष्कर्ष को पुराना और अधूरा मानते हैं।
नीति और समाधान की ज़रूरत
डॉ. ट्रासांडे और अन्य विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि:
प्लास्टिक पैकेजिंग और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग होने वाले रसायनों को अधिक पारदर्शी रूप से सूचीबद्ध किया जाए।
फ्थेलेट्स-मुक्त उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए।
सरकारें अपने-अपने देशों में रासायनिक सुरक्षा कानूनों की समीक्षा करें और स्वास्थ्य जोखिमों को ध्यान में रखकर नीति निर्धारण करें।
फ्थेलेट्स केवल एक रसायन नहीं, बल्कि एक “साइलेंट किलर” बन चुका है, जो अनजाने में लाखों लोगों की जान ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पर्यावरण कार्यकर्ता वर्षों से चेतावनी दे रहे हैं कि हमें अब अपने उपभोग और उत्पादन के तरीकों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
यदि नीति निर्माता, उद्योग और उपभोक्ता साथ मिलकर कदम नहीं उठाते, तो आने वाले समय में यह रसायन वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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