Stroke among youths

वर्तमान समय में जब काम के घंटे लगातार बढ़ते जा रहे हैं और निजी जीवन सिमटता जा रहा है, तब यह समझना बेहद जरूरी हो गया है कि इसका हमारे स्वास्थ्य, विशेष रूप से हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है। हाल ही में प्रकाशित एक स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों की दिनचर्या में काम और जीवन के बीच संतुलन नहीं होता, उनमें हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।

क्या है कार्य-जीवन असंतुलन और इसका असर?

कार्य-जीवन संतुलन का तात्पर्य है – पेशेवर जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत जीवन के बीच ऐसा तालमेल जिससे व्यक्ति दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाए रख सके। लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है—जैसे लंबे समय तक काम करना, ऑफिस का काम घर ले जाना, या बार-बार ओवरटाइम करना—तो यह स्थिति शरीर पर तनाव डालने लगती है।

जब शरीर लंबे समय तक मानसिक दबाव में रहता है, तो हॉर्मोनल असंतुलन होने लगता है, जिससे रक्तचाप बढ़ता है, नींद प्रभावित होती है और हृदय की धड़कनों में अनियमितता आ सकती है। ये सभी कारक हृदय रोगों की नींव बन सकते हैं।

हृदय रोग के बढ़ते खतरे के पीछे छिपा तनाव

लगातार तनावग्रस्त रहने पर शरीर में कोर्टिसोल नामक तनाव हॉर्मोन का स्राव बढ़ जाता है। यह हॉर्मोन शरीर को अलर्ट मोड में रखता है, जिससे दिल की धड़कन तेज होती है और रक्तचाप बढ़ जाता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो हृदय की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और दिल की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।

कौन-कौन से लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?

कार्य और जीवन के असंतुलन से उत्पन्न तनाव का असर धीरे-धीरे दिखाई देता है। कुछ संकेत जो गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं:

हर समय थकान महसूस होना, भले ही नींद पूरी हो

बार-बार सिरदर्द या पीठ दर्द होना

नींद की गुणवत्ता में गिरावट या अनिद्रा

सीने में हल्का दर्द या भारीपन

दिल की धड़कनों का अचानक तेज होना

एकाग्रता की कमी और चिड़चिड़ापन

कार्य के प्रति रुचि में कमी और उत्साह का अभाव

यदि उपरोक्त लक्षण लगातार बने रहें, तो यह जरूरी है कि व्यक्ति चिकित्सकीय परामर्श ले।

कैसे करें हृदय रोग से बचाव?

भागदौड़ भरे जीवन में भी आप कुछ छोटे लेकिन प्रभावी बदलावों से अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं:

  1. नियमित दिनचर्या बनाएं: दिन की शुरुआत योग, ध्यान या हल्के व्यायाम से करें। यह तनाव को कम करने में मदद करता है।
  2. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: काम के बाद मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बनाकर परिवार व खुद के लिए समय निकालें।
  3. स्वस्थ भोजन करें: तला-भुना, अत्यधिक नमक और चीनी से परहेज कर फल, सब्ज़ियां और फाइबर युक्त भोजन लें।
  4. नींद को प्राथमिकता दें: रोज़ाना कम से कम 7–8 घंटे की गहरी नींद लें।
  5. सकारात्मक सोच अपनाएं: नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखें और समय-समय पर खुद को मानसिक रूप से तरोताजा करें।
  6. अपने काम का पुनर्मूल्यांकन करें: यदि संभव हो, तो कार्य का बोझ बांटें और ‘ना’ कहने की आदत डालें जब जरूरत हो।

काम करना ज़रूरी है, लेकिन खुद के जीवन और स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं। कार्य-जीवन संतुलन केवल एक व्यक्तिगत प्राथमिकता नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विषय बन चुका है। यदि हम समय रहते नहीं चेते, तो यह असंतुलन गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जिनमें हृदय रोग सबसे प्रमुख हैं।
इसलिए ज़रूरत है खुद के लिए समय निकालने की, अपने मन और शरीर को समझने की और अपने दिल का ख्याल रखने की।

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