depression

भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर स्थिति चिंताजनक है। लैंसेट पत्रिका द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, देश में लगभग 19.73 करोड़ लोग किसी न किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त हैं, जिनमें से 4.57 करोड़ लोग अवसाद (Depression) से जूझ रहे हैं।

अवसाद सिर्फ “मूड खराब” होना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने, कार्य करने और दुनिया को देखने के तरीके को गहराई से प्रभावित करती है।

अवसाद (Depression) क्या है?

अवसाद किसी भी उम्र या समय में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह पहली बार किशोरावस्था के अंत या बीसवें दशक की शुरुआत में दिखाई देता है। यह व्यक्ति की कार्यक्षमता, व्यवहार और जीवन की गुणवत्ता को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है।

Depression के लक्षण

अवसाद (Depression) के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं — कुछ में हल्के तो कुछ में बेहद गंभीर। इनमें शामिल हैं:

1️⃣ लगातार उदासी, चिड़चिड़ापन या निराशा महसूस करना।
2️⃣ उन चीज़ों में रुचि खो देना जिनमें पहले आनंद आता था।
3️⃣ भूख या वजन में बड़ा बदलाव।
4️⃣ बहुत ज़्यादा या बहुत कम नींद आना।
5️⃣ लगातार थकान या ऊर्जा की कमी।
6️⃣ बेचैनी, हाथ-पैर हिलाना या बहुत धीमी गति से काम करना।
7️⃣ खुद को बेकार या दोषी महसूस करना।
8️⃣ ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत या भूलने की प्रवृत्ति।
9️⃣ मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना।

अगर ये लक्षण दो हफ्तों से अधिक समय तक लगातार बने रहें, तो यह अवसाद का संकेत हो सकता है।

उदासी और अवसाद में फर्क

किसी प्रियजन की मृत्यु, नौकरी छूटना या किसी रिश्ते का टूटना — ऐसी स्थितियों में दुखी होना स्वाभाविक है। लेकिन अवसाद और सामान्य शोक में फर्क यह है कि अवसाद में व्यक्ति लंबे समय तक अपने भीतर फंसा रहता है और जीवन की सामान्य गतिविधियों में वापस लौटना मुश्किल हो जाता है।

अवसाद के कारण

अवसाद के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं:

मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन

आनुवंशिक कारण

लगातार तनाव, हिंसा या उपेक्षा

कम आत्मसम्मान या नकारात्मक सोच

गरीबी या सामाजिक अलगाव

यह भी देखा गया है कि कम आत्मविश्वास वाले और अत्यधिक तनावग्रस्त लोग अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

उपचार और राहत

अवसाद उपचार योग्य बीमारी है। शोध बताते हैं कि 70% से 90% मरीज उचित इलाज से ठीक हो जाते हैं।
उपचार में दवाइयाँ, मनोचिकित्सा (Psychotherapy) और सपोर्ट सिस्टम अहम भूमिका निभाते हैं।

साथ ही, कुछ जीवनशैली बदलाव भी बेहद असरदार साबित हो सकते हैं:

पर्याप्त नींद लेना

संतुलित और पौष्टिक भोजन करना

नियमित व्यायाम करना

शराब और नशे से दूर रहना

मदद ज़रूर लें

अगर आप या आपका कोई परिचित अवसाद या आत्महत्या के विचारों से जूझ रहा है, तो तुरंत सहायता लें।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर:
📞 14416 या 1800-891-4416

याद रखें — अवसाद कमजोरी नहीं, एक बीमारी है। समय पर पहचान और इलाज से जीवन फिर से पटरी पर लौट सकता है।

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