मौसम के बदलाव के साथ संक्रमण से होने वाली बीमारियां भी बदलती रहती हैं। तमिलनाडु, केरल, राजस्थान के बाद अब दिल्ली एनसीआर में भी Mumps के मामले देखे जा रहे हैं। इसके सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं। Mumps अति संक्रामक वायरल इन्फेक्शन माना जाता है इसलिए इसके इन्फेक्शन के फैलने का खतरा काफी अधिक रहता है ।
Mumps के लक्षण और संक्रमण के कारण
Mumps के लिए जिम्मेदार वायरस पैरामाइक्सोवायरस है। यह वायरस व्यक्ति के लार के सीधे संपर्क में आने या संक्रमित व्यक्ति के नाक, मुंह या गले से निकलने वाली श्वशन बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इससे बचाव का सबसे पहला तरीका है संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखना है। Mumps से संक्रमित मरीजों में शुरुवाती लक्षण बुखार, सिरदर्द, मांशपेशियों के दर्द, थकान और भूख की कमी हो सकती है । जैसे जैसे संक्रमण बढ़ता है इन लक्षणों के बढ़ने का खतरा भी रहता है। Mumps का संक्रमण लार बनाने वाली पैरोटिड ग्रंथियों को टारगेट करता है जिसके कारण चहरे के एक तरफ सूजन और दर्द होने की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
फोर्टिस हेल्थकेयर में पीडियाट्रिक पल्मोनॉल्जी की एडिशनल डायरेक्टर डॉक्टर नीतू तलवार के मुताबिक पैरेंट्स के लिए जरूरी है की अपने बच्चों में इसके लक्षण को समय रहते पहचान करें।
लिहाजा लक्षणों के आते हीं अपने नजदीकी डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
किन लोगों को है MUMPS का खतरा
डॉक्टर्स के मुताबिक Mumps की बीमारी सबसे अधिक बच्चों को अपने चपेट में लेती है। खासकर दो से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को यह अपनी चपेट में लेता है। वे लोग जिन्हें मीसल्स , मम्प्स और रुबेला यानी एमएमआर का टीका नही लगा है उनमे संक्रमण होने और इसके गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है। इसके अलावा वैसे लोग जिनमे रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी है उनमें भी इसका खतरा बना रहता है। ऐसे लोगों में समय रहते लक्षण की पहचान और उचित डॉक्टर के दिशा निर्देश में इलाज जरूरी है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक गंभीर संक्रमण की स्थिति में रोगियों के सुनने की क्षमता भी जा सकती है।
मम्प्स हो जाए तो क्या करें?
विशेषज्ञों के मुताबिक Mumps का कोई विशेष उपचार नहीं है । इसके इन्फेक्शन और सिप्टम्स को देखते हुए हीं डॉक्टर मेडिसिन देते हैं। आम तौर पर कुछ हफ्तों के भीतर हीं ये संक्रमण ठीक हो जाता है। लेकिन लक्षण न बिगड़े लिहाजा डॉक्टर की देख रेख में हीं इलाज करें।
इस संक्रामक रोग की स्थिति में डॉक्टर तरल पदार्थ के सेवन, गुनगुने नमक पानी से गरारे करने और अम्लीय खाद्य पदार्थ के सेवन से बचने की सलाह देते हैं। इसके संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है, साथ हीं किसी भी तरह के लक्षण दिखे तो डॉक्टर से संपर्क कर लें।
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