Cardiopulmonary resuscitation

Covid-19 के बाद अस्थमा मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया ने अस्थमा से होने वाली मौत भारत में सर्वाधिक है और एक अनुमान के मुताबिक हर साल लगभग 2 लाख मौत होती है

भारत जैसे देश में जहां महानगरों से लेकर छोटे शहरों में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जबकि गांवों में फॉसिल फ्यूल घरेलू ईंधन का आज भी बड़ा साधन है। प्रदूषण का यह फैक्टर लंबे समय से अस्थमा का एक बड़ा कारण रहा है। वहीं कोविड काल में भारत की एक बड़ी आबादी कोविड संक्रमण से सीधे प्रभावित हुई । पोस्ट कोविड इंपैक्ट में अस्थमा के बढ़ते मामले भी देखे गए जिसके कारण भारत में अस्थमा की बीमारी से एक बड़ी आबादी चपेट में है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अस्थमा से प्रभावित आपके आस पास दिख जायेंगे। फेफड़े में होने वाली यह एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी में शरीर के वायु मार्ग के आस पास सूजन होता है और मांशपेशियों में अकड़न आ जाती है जिस कारण सांस लेने में कठिनाई होती है । इसका खतरा हर उम्र वर्ग के लोगों को रहता है इसलिए अमूमन डॉक्टर अस्थमा के मरीजों को वातावरण की विभिन्न परिस्थितियों में अलर्ट रहने की एडवाइस देते हैं। आंकड़ों के मुताबिक अस्थमा से होने वाली मौतों में सिर्फ भारत में हीं संख्या 46% के आस पास है। मई महीने के पहले हफ्ते में आने वाले मंगलवार को दुनिया भर में वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है ताकि इससे जुड़ी जानकारी और जागरूकता को लोगों में पहुंचाया जा सके।

भारत में अस्थमा का खतरा क्यों बढ़ा है?
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में अस्थमा से सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत का नाम आता है जहां इसका डिजीज बर्डन तकरीबन 34.3 मिलियन है और यह ग्लोबल बर्डन का 13.09% है । वहीं इससे होने वाली मौत के आंकड़े भारत में प्रति वर्ष 2 लाख के पार जा रहें हैं। ग्लोबल बर्डन डिजीज 2021 की रिपोर्ट में भी भारत में बढ़ते अस्थमा मरीजों की संख्या पर चिंता जताई गई है । एक्सपर्टस का मानना है की लक्षणों की पहचान सही समय पर हो जाए तो बचाव और इलाज में आसानी होती है। क्योंकि समय पर इलाज न हो तो यह खतरनाक स्थिति पैदा करता है और बेहद घातक साबित होता है।

क्या हैं अस्थमा के लक्षण, कैसे पहचाने?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर इंसान में अस्थमा के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं। इसकी समस्या का एक बड़ा कारण धूल, धुवां, एलर्जी और प्रदूषण के महीन कण है जो सांस के जरिए हमारे भीतर जाते हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है, सीने में जकड़न या दर्द होने लगता है, सांस छोड़ते समय भी घरघराहट की आवाज निकलने लगती है, साथ में खांसी और दम फूलने लगता है।

अस्थमा को खतरनाक क्यों माना जाता है?
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक अस्थमा का अटैक व्यक्ति के लिए गंभीर शारीरिक चुनौती पैदा करता है। मरीज को सांस लेने में दिक्कत बढ़ती चली जाती है और इसी स्थिति में उसे तत्काल प्रभाव से इमरजेंसी की जरूरत पड़ती है वरना यह जानलेवा भी हो सकता है। सामान्यतः डॉक्टर ऐसे मरीजों को इन्हेलर देते है ताकि लक्षण बढ़ते ही इसपे नियंत्रण किया जा सके।

अस्थमा से कैसे करें बचाव?
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक अस्थमा के प्रमुख कारण को समझना इससे बचाव में सहायक होता है। उदाहरणस्वरूप घुल के कण, फूलों के परागकण, पालतू जानवरों के बाल, घुंवा, फफूंद जैसी चीजों का प्रभाव एलर्जी के तौर पर शरीर में देखा जाता है। इसी से वायु मार्ग में सूजन और संकुचन बढ़ने का खतरा होता है। यह अस्थमा के मरीजों में लक्षणों को ट्रिगर कर देता है और अस्थमा अटैक का कारण बन जाता है। अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी है की इन कारकों से खुद का बचाव करें। अगर वे घर से बाहर जा रहे हैं तो मास्क जरूर पहनें । सर्दी, फ्लू और वायरल इन्फेक्शन जैसी स्थिति में भी वायु मार्ग में सूजन और सिकुड़न का खतरा रहता है और इससे भी अस्थमा का अटैक हो सकता है। लिहाजा डॉक्टर ऐसे संक्रमण से बचाव की सलाह भी अस्थमा के मरीजों को देते हैं। विशेष रूप से मौसम में बदलाव के दौरान अपनी सेहत का ख्याल जरूर रखें ।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल विभिन्न श्रोतों से एकत्रित की गई हैं जिसका मकसद जानकारी और जागरूकता है। किसी भी हेल्थ कंडीशन के लिए जरूरी सलाह और इलाज अपने डॉक्टर की देखरेख में हीं करें।

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