हाल के दिनों में हम लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट ये दोनों शब्दों को सुनते आ रहे हैं। अक्सर लोग दोनों को एक ही चीज़ समझते हैं, जबकि दोनों बिलकुल अलग-अलग चीज़ें हैं।
हम ज़्यादा टेक्निकल ना जाकर सामान्य शब्दों में समझने की कोशिश करेंगे। चलिए समझने के लिए हम हृदय को एक पानी के पम्प की तरह मानते हैं।
पम्प को अगर देखें तो इसमें दो चीज़ें हैं। पहली, उसमें बिजली का प्रवाह आता है और उस बिजली के प्रवाह से जो ऊर्जा आती है, उसकी मदद से पम्प पानी को खींच कर बाहर फेंकता है।
हार्ट अटैक और लक्षण
अगर पम्प की नली में कुछ फँस जाए तो पम्प पानी ठीक से फेंक नहीं पाएगा। हार्ट अटैक में यही होता है। हृदय की नली में किसी कारणवश सिकुड़न आ जाए या कुछ फँस जाए या जम जाए तो वो शरीर में खून अच्छे से नहीं भेज पाता। हार्ट अटैक में मरीज़ अचानक से बेहोश नहीं होते। उनमें ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
- सीने में दर्द होना।
- यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है, कभी बायें हाथ या कंधे की तरफ जाता है, कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ और पसीना आना।
- कुछ लोगों को गैस होने की फीलिंग आती है।
कार्डियक अरेस्ट और लक्षण
लेकिन अगर पम्प में बिजली का प्रवाह अचानक बंद हो जाए तो पम्प बिलकुल काम करना बंद कर देगा। कार्डियक अरेस्ट में यही होता है। हृदय में करेंट का प्रवाह अचानक से बंद हो जाता है, जिसके कारण हृदय अचानक से पूरी तरह रुक जाता है। इसी कारणवश मरीज़ अचानक से तुरंत बेहोश हो जाता है।
.असामान्य रूप से दिल
धड़कना
.चक्कर आना
.सीने में दर्द
.सांस लेने में परेशानी
.उल्टी और जी मिचलाना
.पल्स और बीपी का रुक जाना
इसमें आप CPR देकर कोशिश करते हैं कि हृदय वापस पम्प करना शुरू करे या प्रेशर से वो खून पम्प करता रहे। और जैसे ही मरीज़ अस्पताल पहुँचता है, AED मशीन की मदद से उसे वापस से स्टार्ट करने की कोशिश की जाती है।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की सही पहचान और तुरंत इलाज मरीज़ की जान बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन दोनों स्थितियों की समझ होना जरूरी है।
नोट: यह आर्टिकल एक्सपर्ट ओपिनियन पर आधारित है जिसका मकसद सिर्फ जानकारी और जागरूकता है। किसी भी मेडिकल कंडीशन के लिए अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
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