सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 100 से अधिक औषधि इकाइयों के कफ सिरप के नमूने गुणवत्ता परीक्षण में असफल रहे हैं। यह जानकारी द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा साझा की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से कुछ नमूनों में वही विषाक्त पदार्थ पाए गए जो गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में बच्चों की मौतों से जुड़े कफ सिरप में पाए गए थे।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की रिपोर्ट ने इन निम्न गुणवत्ता वाले बैचों को “गुणवत्ता के मानक के अनुसार नहीं” (एनएसक्यू) के रूप में वर्गीकृत किया है। इन बैचों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी), एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी), असाय, सूक्ष्मजीवों की वृद्धि, पीएच, और वॉल्यूम से संबंधित समस्याएँ पाई गईं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रस्तुत इस रिपोर्ट में 7,087 बैचों में से 353 को एनएसक्यू पाया गया। विशेष रूप से नौ बैचों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की उपस्थिति के कारण समस्याएँ थीं।
रिपोर्ट के अनुसार, डीईजी/ईजी से संबंधित असफलताओं का कारण “असुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला और प्रोपलीन ग्लाइकॉल बल्क के डीईजी/ईजी परीक्षण में विफलता” था। भारतीय निर्मित कफ सिरप को 141 बच्चों की वैश्विक मौतों से जोड़ने वाली रिपोर्टों के बाद, देश भर में विभिन्न सरकारी और निजी प्रयोगशालाएं परीक्षण कर रही हैं।
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