Navjot Singh Siddhu

पंजाब के नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के स्टेज-4 कैंसर के इलाज को लेकर किए गए दावे पर विवाद खड़ा हो गया है। सिद्धू ने दावा किया कि डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को केवल 3% बचने की संभावना बताई थी, लेकिन नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब का सिरका, नीम के पत्ते और तुलसी का सेवन करने से वह सिर्फ 40 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ हो गईं।

सिद्धू के इस दावे को सोशल मीडिया पर तेजी से साझा किया जा रहा है। हालांकि, मेडिकल विशेषज्ञों और ऑन्कोलॉजिस्ट्स (कैंसर विशेषज्ञों) ने इस दावे को सख्ती से खारिज किया है और इसे भ्रामक करार दिया है।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञों का बयान

इस तरह के दावों के जवाब में, टाटा मेमोरियल अस्पताल के 262 वर्तमान और पूर्व ऑन्कोलॉजिस्ट्स ने एक सार्वजनिक परामर्श जारी किया। उन्होंने कहा:
“डेयरी प्रोडक्ट्स और चीनी से बचने, हल्दी और नीम का सेवन करने से कैंसर का इलाज संभव है, इस पर कोई उच्च गुणवत्ता वाला वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी जैसे प्रमाणित उपचार ही कैंसर के इलाज का आधार हैं।”

विशेषज्ञों ने जनता को आगाह किया कि वे अप्रमाणित उपचारों के चक्कर में अपना समय बर्बाद न करें और किसी भी कैंसर के लक्षण होने पर तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें।

सिद्धू के दावे पर विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने सिद्धू के दावे को “गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक” बताया। उन्होंने कहा:
“आहार का कैंसर के उपचार में सहायक भूमिका होती है, लेकिन केवल आहार के जरिए इतने कम समय में इतने गंभीर कैंसर का इलाज संभव नहीं है। ऐसे बयान मरीजों को भ्रमित कर सकते हैं और उनके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।”

डॉ. शुक्ला ने बताया कि स्टेज-4 कैंसर एक जटिल स्थिति है, जिसके लिए टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और पैलिएटिव केयर जैसे वैज्ञानिक उपचारों की आवश्यकता होती है। उन्होंने मशहूर हस्तियों से अपील की कि वे स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर जिम्मेदारी के साथ बयान दें।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सिद्धू के दावे ने सोशल मीडिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। जहां कुछ लोग इसे प्रेरणादायक बता रहे हैं, वहीं अन्य इसे भ्रामक और गलत जानकारी फैलााने वाला मान रहे हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मरीजों से केवल वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित इलाज अपनाने और डॉक्टरों की सलाह पर भरोसा करने की अपील की है।

जिम्मेदारीपूर्ण संवाद की आवश्यकता

मेडिकल विशेषज्ञ और संस्थाएं इस बात पर जोर दे रही हैं कि मशहूर हस्तियों द्वारा स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी साझा करने में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। भ्रामक दावे, भले ही उनकी मंशा अच्छी हो, मरीजों के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल का यह बयान समय पर आया है और यह इस बात की याद दिलाता है कि कैंसर के इलाज के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण आवश्यक है। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे उचित निदान और उपचार के लिए योग्य ऑन्कोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

जैसे-जैसे यह बहस जारी है, विशेषज्ञ यह दोहराते हैं कि उम्मीद ज़रूरी है, लेकिन उसे हमेशा विज्ञान और तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।

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