सर्दी का मौसम आते ही हृदय रोगों के मामले बढ़ने लगते हैं। खासतौर पर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी देखी जाती है। ये दोनों स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हैं, लेकिन अक्सर लोग इन्हें एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं। हालांकि, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट बिल्कुल अलग स्थितियां हैं। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट: क्या है अंतर?
हम हृदय को एक पानी के पंप की तरह समझ सकते हैं। पंप दो मुख्य चीज़ों पर निर्भर करता है – एक, नली से पानी का प्रवाह और दूसरा, पंप को बिजली का प्रवाह।
- हार्ट अटैक
हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की नली में रुकावट आ जाती है। यह रुकावट नली के सिकुड़ने, उसमें किसी चीज़ के फंसने, या जमने के कारण हो सकती है। इस स्थिति में हृदय खून को सही से पंप नहीं कर पाता। हार्ट अटैक के लक्षण धीमे-धीमे बढ़ते हैं, जैसे:
सीने में दर्द (जो बाएं हाथ, कंधे, जबड़े या दांत तक जा सकता है)।
सांस लेने में दिक्कत।
पसीना आना।
पेट में जलन या गैस जैसा महसूस होना।
- कार्डियक अरेस्ट
दूसरी ओर, कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हृदय को चलाने वाली बिजली का प्रवाह अचानक बंद हो जाता है। यह हृदय की धड़कनों को पूरी तरह रोक देता है, और व्यक्ति तुरंत बेहोश हो जाता है। यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है और त्वरित चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर (CPR) देकर हृदय को फिर से शुरू करने की कोशिश की जाती है।
अस्पताल में इसे एईडी (AED) मशीन की मदद से पुनर्जीवित किया जाता है।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं मामले?
सर्दियों के मौसम में ठंड के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। इसके अलावा:
ठंड के कारण शरीर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है।
शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा उन लोगों में अधिक होता है जो पहले से हृदय रोग, डायबिटीज़ या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
बचाव के उपाय
ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनें।
नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर को सक्रिय रखें।
ज्यादा तैलीय और भारी भोजन से बचें।
तनाव को कम करने के लिए ध्यान और योग का सहारा लें।
किसी भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट, दोनों गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिन्हें समझना और समय रहते चिकित्सा सहायता प्राप्त करना बेहद जरूरी है। ठंड के मौसम में विशेष सतर्कता बरतें और अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके हृदय को स्वस्थ रखें।
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