केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने नवंबर 2024 के लिए नकली और मानक गुणवत्ता से कमतर (NSQ) दवाओं की सूची जारी की है। इसके मुताबिक 111 दवा सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। भारत के दवा बाजार में व्याप्त घटिया, नकली और गुणवता की कसौटी पर फेल हो रही दवाओं को लेकर यह नया अलर्ट है।
रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
नवंबर 2024 के दौरान, केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 41 दवा सैंपलों को मानक से कमतर (NSQ) पाया, जबकि राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 70 दवा सैंपलों को मानक गुणवत्ता पर खरा नहीं पाया।
इन सैंपलों को “NSQ” के रूप में पहचानने का कारण उनके गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरना है। हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि यह परिणाम केवल परीक्षण किए गए बैच पर लागू होते हैं और बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों को लेकर कोई चिंता नहीं जताई गई है।
2 नकली दवा सैंपल की पहचान
इस रिपोर्ट में दो दवा सैंपलों को नकली भी पाया गया। इनमें से एक सैंपल बिहार ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी और दूसरा CDSCO (उत्तरी क्षेत्र), गाजियाबाद द्वारा लिया गया था। इन दवाओं का निर्माण अनधिकृत और अज्ञात निर्माताओं द्वारा किया गया था, जो किसी और कंपनी के ब्रांड नाम का उपयोग कर रहे थे। इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है।
राज्यों की बढ़ती भागीदारी
रिपोर्ट का एक अहम पहलू राज्यों की बढ़ती भागीदारी है। राज्यों द्वारा NSQ और नकली दवाओं की जानकारी को केंद्रीय डेटाबेस में साझा करने की पहल ने इस प्रक्रिया को और मजबूत बनाया है। यह कदम बाजार में गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया
CDSCO और राज्य नियामकों के संयुक्त प्रयासों से बाजार में नकली और घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की पहचान और उन्हें हटाने का काम नियमित रूप से किया जाता है। यह उपभोक्ताओं को सुरक्षित और प्रभावी दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत में नकली और गुणवता पर फेल हो रही दवाओं का बड़ा बाजार है। भारतीय औषधि नियामक संस्थाएं दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। नकली और मानक से कमतर दवाओं पर यह निगरानी प्रक्रिया न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय दवा उद्योग की साख को मजबूत करेगी।
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