Virus vs Bacteria

चिकित्सा जगत में बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों का इलाज करने के तरीकों में बड़ा अंतर है। जहां बैक्टीरियल संक्रमण के खिलाफ दवाओं की भरमार है, वहीं वायरल संक्रमणों के लिए प्रभावी दवाएं गिनी-चुनी हैं। इसके पीछे जीव विज्ञान से जुड़ी गहरी वैज्ञानिक वजहें हैं।

बैक्टीरिया के खिलाफ दवाएं क्यों आसानी से बनती हैं?

बैक्टीरिया एक संपूर्ण एककोशिकीय जीव होते हैं, जिनकी जैव रसायन (biochemistry) मानव कोशिकाओं से पूरी तरह भिन्न होती है। इसका मतलब है कि वैज्ञानिक ऐसी दवाएं विकसित कर सकते हैं जो बैक्टीरिया की महत्वपूर्ण एंजाइमों को बाधित कर दें या उनकी कोशिका दीवार को नष्ट कर दें।

उदाहरण: पेनिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की कोशिका दीवार को तोड़कर उन्हें मार देती हैं, जबकि मानव कोशिकाओं पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि हमारी कोशिकाओं में ऐसी दीवार होती ही नहीं।

वायरल संक्रमण का इलाज मुश्किल क्यों है?

वायरस, बैक्टीरिया की तुलना में बहुत सरल होते हैं। एक वायरस में केवल उसका जीनोम (आनुवंशिक सामग्री) होता है। जब वायरस किसी कोशिका को संक्रमित करता है, तो यह अपनी प्रजनन प्रक्रिया के लिए संक्रमित कोशिका की ही जैविक प्रणाली का उपयोग करता है।

मुश्किल यह है कि:

वायरस के जीनोम की प्रतिकृति और प्रोटीन संश्लेषण उसी प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिससे स्वस्थ कोशिकाएं भी कार्य करती हैं।

इसलिए, अगर वैज्ञानिक ऐसी दवा बनाते हैं जो वायरस की गतिविधि को रोक सके, तो वह दवा मानव कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

क्यों हैं वैक्सीन महत्वपूर्ण?

वायरल संक्रमणों से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका वैक्सीन हैं। वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती हैं।

आगे की चुनौतियां और समाधान

वायरस के खिलाफ एंटीवायरल दवाएं विकसित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन विज्ञान इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ एंटीवायरल दवाएं विकसित हुईं, जिनसे भविष्य में शोध के नए रास्ते खुले हैं।

निष्कर्ष:
बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों के बीच जैविक अंतर के कारण दवाओं का विकास आसान या कठिन होता है। जहां बैक्टीरियल संक्रमणों के लिए प्रभावी दवाएं हैं, वहीं वायरल संक्रमणों के लिए वैक्सीन और नई दवाओं पर शोध समय की मांग है।

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