पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसन विभाग और पब्लिक हेल्थ स्कूल द्वारा किए गए हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में ट्रांस फैट का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक खतरा बनता जा रहा है। अध्ययन में पाया गया कि ट्रांस फैट, जो मुख्यतः वनस्पति घी (वनस्पति) और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, नॉन-कम्यूनिकेटेबल डिजीज़ (NCDs) और हृदय संबंधी रोगों के बढ़ते मामलों में अहम भूमिका निभा रहा है।
अध्ययन की मुख्य बातें
अलार्मिंग स्वास्थ्य स्थिति:
अध्ययन में देखा गया कि भारत में हृदय रोगों सहित कई नॉन-कम्यूनिकेटेबल डिजीज़ का बढ़ता प्रसार ट्रांस फैट के सेवन से जुड़ा है। हृदय रोगों में मौतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसी कारण से हो रहा है।
ट्रांस फैट का स्रोत:
मुख्य रूप से आंशिक हाइड्रोजनेशन से प्राप्त तेल, जैसे वनस्पति घी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में मौजूद ट्रांस फैट, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
नीतिगत चुनौतियाँ:
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने ट्रांस फैट के लिए सीमाएँ तय कर दी हैं, परंतु पूरी तरह से ट्रांस फैट को खत्म करना अभी भी एक अधूरा एजेंडा बना हुआ है।
क्या है समाधान
अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया कि ट्रांस फैट के स्थान पर स्वस्थ तेलों का उपयोग बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए:
आहार में सुधार:
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर और आयातित पाम तेल (जो संतृप्त वसा से भरपूर होता है) की निर्भरता कम करके, स्वस्थ विकल्पों का विकास किया जा सकता है।
नीतिगत सुधार एवं जागरूकता: TOI के रिपोर्ट के मुताबिक
प्रो. जे.एस. ठाकुर ने बताया, “स्वस्थ तेलों में बदलाव भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए नीतिगत सुधार, घरेलू उत्पादन में वृद्धि, जन जागरूकता और उद्योग के सहयोग की आवश्यकता है।”
आगामी कार्यक्रम
पीजीआई द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय हितधारक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। बैठक में निम्नलिखित प्रमुख हस्तियाँ शामिल होंगी:
चंडीगढ़ प्रशासन के स्वास्थ्य सचिव-सीमायुक्त, खाद्य सुरक्षा, अजय चगती
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डॉ. युतारो सेतोया
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन डायरेक्टर एवं पंजाब के खाद्य सुरक्षा आयुक्त, डॉ. अभिनव त्रिखा
इस बैठक में राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ, जैसे कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन, FSSAI, स्वास्थ्य मंत्रालय, और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम के दौरान ‘हेल्दी ऑयल कंसोर्टियम’ का शुभारंभ किया जाएगा, जिसमें ट्रांस फैट को समाप्त करने के लिए ठोस सिफारिशों पर चर्चा होगी।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ट्रांस फैट के सेवन को कम करने और स्वस्थ तेलों को अपनाने से न केवल हृदय रोगों का खतरा कम होगा, बल्कि देश में नॉन-कम्यूनिकेटेबल डिजीज़ के प्रसार पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उद्योग के सहयोग से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भारत में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना किया जा सके।
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