भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में “सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन एडिक्टिव बिहेवियर्स” (CAR-AB) स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह केंद्र 12 से 25 वर्ष की आयु के लोगों में इंटरनेट और तकनीक से संबंधित लत को रोकने और उपचार देने पर केंद्रित होगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 14 करोड़ रुपये है और इसे सरकार की अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
Tech Addiction से निपटने के लिए राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार होगा
CAR-AB अत्यधिक और समस्या उत्पन्न करने वाले तकनीकी उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह केंद्र विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करेगा, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों के छात्र, उनके माता-पिता, शिक्षक, IIT संकाय सदस्य और मेडिकल कॉलेज के पेशेवर शामिल होंगे।
AIIMS के बिहेवियरल एडिक्शन क्लिनिक के प्रमुख और इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर यतन पाल सिंह बलहारा के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह केंद्र वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हस्तक्षेप (इंटरवेंशन) विकसित करेगा, ताकि युवाओं में अत्यधिक तकनीकी उपयोग से उत्पन्न मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान किया जा सके।
समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाएगा
यह केंद्र निवारण, स्क्रीनिंग, प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा, यह शिक्षा और स्वास्थ्य पेशेवरों को तकनीकी लत से निपटने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए संसाधन विकसित करेगा।
प्रो. बलहारा ने बताया, “हम शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे, और जिन छात्रों में स्क्रीनिंग के दौरान लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें व्यापक उपचार के लिए इस केंद्र में भेजा जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना देशभर में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी और इसके तहत तनाव, अवसाद, चिंता और तकनीकी लत जैसी समस्याओं के उपचार के लिए विशेष हस्तक्षेप विकसित किए जाएंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)की मदद से जोखिम में पड़े युवाओं की पहचान
इस केंद्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से उन युवाओं की पहचान की जाएगी, जो अत्यधिक तकनीकी उपयोग के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम में हैं।
इंटरनेट की लत: एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक तकनीकी उपयोग एक बड़ी सामाजिक और स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में यह पाया गया कि युवाओं में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और उनके बढ़ते इंटरनेट उपयोग के बीच सीधा संबंध है।
रिपोर्ट में यह भी जोर दिया गया कि शैक्षणिक संस्थानों और परिवारों को तत्काल कदम उठाने चाहिए, ताकि युवाओं के इंटरनेट उपयोग को नियंत्रित किया जा सके और उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।
सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह परियोजना देशभर में युवाओं की डिजिटल लत को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने में मददगार साबित हो सकती है।
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