मोटापा सिर्फ वजन बढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हर साल विश्व मोटापा दिवस पर इस समस्या को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है। हाल ही में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली और अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने मोटापे के मूल्यांकन के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के अलावा अन्य महत्वपूर्ण मानकों पर ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इसके अनुसार मोटापे को देखने और समझने के लिए कई नए और व्यापक पैमाने है।
BMI पर्याप्त क्यों नहीं है?
परंपरागत रूप से, मोटापा मापने के लिए BMI का उपयोग किया जाता रहा है, जो शरीर के वजन (किलोग्राम में) को लंबाई (मीटर में) के वर्ग से विभाजित कर प्राप्त किया जाता है। हालाँकि, कई अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि केवल BMI के आधार पर स्वास्थ्य जोखिमों का सटीक मूल्यांकन करना संभव नहीं है।
नेशनल हार्ट, लंग, एंड ब्लड इंस्टिट्यूट (NHLBI) की रिपोर्ट के अनुसार, BMI शरीर में वसा वितरण को नहीं दर्शाता है, जिससे यह नहीं पता चलता कि वसा कहाँ संचित हो रही है। शरीर में वसा का प्रकार और स्थान भी स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, पेट के आसपास जमा होने वाली विसरल फैट (आंतरिक वसा) का संबंध हृदय रोग, मधुमेह, और अन्य गंभीर बीमारियों से होता है, जबकि जांघों या कूल्हों पर जमा वसा अपेक्षाकृत कम खतरनाक होती है।
मोटापे के बेहतर आकलन के लिए नए मापदंड
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि BMI के साथ-साथ अन्य मापदंडों पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे:
- कमर की परिधि (Waist Circumference)
कमर का बढ़ता आकार हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ा सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा सुझाए गए मानकों के अनुसार:
महिलाओं के लिए 80 सेंटीमीटर (31.5 इंच) से अधिक की कमर परिधि स्वास्थ्य जोखिम का संकेत देती है।
पुरुषों के लिए यह सीमा 90 सेंटीमीटर (35.4 इंच) से अधिक है।
- कमर से ऊंचाई अनुपात (Waist-to-Height Ratio, WHtR)
शोधकर्ताओं का मानना है कि WHtR, BMI की तुलना में स्वास्थ्य जोखिमों का अधिक सटीक संकेतक हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कमर की परिधि उसकी ऊंचाई के 50% से अधिक है, तो उसे मोटापे से जुड़ी बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है।
- शरीर में वसा प्रतिशत (Body Fat Percentage)
BMI यह नहीं बता सकता कि शरीर का कितना हिस्सा वसा और कितना मांसपेशी है। दो व्यक्तियों का BMI समान हो सकता है, लेकिन यदि एक के शरीर में अधिक वसा और कम मांसपेशी है, तो उसे स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक खतरा हो सकता है।
आम तौर पर, स्वस्थ शरीर वसा प्रतिशत:
पुरुषों के लिए 10-20%
महिलाओं के लिए 18-28% के बीच होना चाहिए।
- विसरल फैट (Visceral Fat)
विसरल फैट आंतरिक अंगों के आसपास जमा होता है और यह सामान्य रूप से दिखने वाले व्यक्तियों में भी अधिक हो सकता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध, फैटी लिवर, हृदय रोग, और कैंसर जैसी बीमारियों से जुड़ा होता है।
वर्ल्ड ओबेसिटी डे के मौके पर एम्स ने एक ट्वीट के जरिए महत्वपूर्ण तथ्य सामने रखा है।
https://x.com/aiims_newdelhi/status/1896480797441561007?t=lPOzo8WqxW_zNghEvMzvGg&s=19
मोटापा मापने के पारंपरिक पैमाने से आगे बढ़ने की जरूरत: विशेषज्ञों की सलाह
मोटापा सिर्फ आहार से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि जीवनशैली, व्यायाम, मानसिक तनाव और नींद की गुणवत्ता भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मोटापा नियंत्रण के लिए:
- संतुलित आहार लें: प्रोसेस्ड फूड, शुगर और ट्रांस फैट से बचें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार लें।
- नियमित व्यायाम करें: हफ्ते में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला कार्डियो और 2-3 दिन वेट ट्रेनिंग करें।
- तनाव कम करें: योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकों से कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) को नियंत्रित किया जा सकता है, जो मोटापे को बढ़ा सकता है।
- नींद पूरी करें: अधूरी नींद शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकती है, जिससे वजन बढ़ता है।
- हाइड्रेटेड रहें: दिन में कम से कम 2-3 लीटर पानी पिएं, क्योंकि पानी शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करता है।
मोटापे को केवल BMI के आधार पर नहीं आंका जा सकता। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का सुझाव है कि कमर की परिधि, शरीर में वसा प्रतिशत और विसरल फैट जैसे अतिरिक्त मापदंडों का उपयोग कर स्वास्थ्य जोखिमों का अधिक सटीक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
विश्व मोटापा दिवस का उद्देश्य सिर्फ वजन घटाने पर ध्यान देना नहीं, बल्कि लोगों को स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली अपनाने और मोटापे से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने के प्रति जागरूक करना है।
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