Heart Attack

हृदय संबंधी रोग अब केवल पुरुषों की बीमारी नहीं रह गई है। हाल के वर्षों में यह साफ़ हो चुका है कि महिलाएं भी हृदय रोग, विशेषकर हार्ट अटैक, के खतरे से अछूती नहीं हैं। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पारंपरिक संकेतों से अलग होते हैं, जिससे इसका निदान अक्सर देर से होता है — और यही देरी जानलेवा साबित हो सकती है।

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण: केवल छाती में दर्द नहीं होता चेतावनी का संकेत

अधिकांश लोग हार्ट अटैक को केवल “छाती में तेज़ दर्द” से जोड़ते हैं, लेकिन महिलाओं में इसके लक्षण कई बार बहुत सूक्ष्म और भ्रमित करने वाले होते हैं। आम तौर पर पाए जाने वाले लक्षणों में शामिल हैं:

छाती में हल्का या मध्यम दबाव, जलन या असहजता

गर्दन, जबड़े, कंधे, पीठ या यहां तक कि पेट में दर्द

बिना किसी मेहनत के सांस फूलना

अचानक अत्यधिक थकावट या कमजोरी महसूस होना

मतली, उल्टी या पेट खराब होना

चक्कर आना या अचानक बेहोश होना

कई महिलाएं इन लक्षणों को एसिडिटी, गैस या तनाव से जुड़ी मामूली समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देती हैं। यही कारण है कि महिलाओं में हार्ट अटैक की समय पर पहचान एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

किन महिलाओं को सबसे ज़्यादा खतरा? जानिए जोखिम कारक

महिलाओं में हार्ट अटैक के लिए ज़िम्मेदार कारक कई हो सकते हैं, और इनमें से कुछ तो ऐसी हैं जो दिखती भी नहीं — लेकिन शरीर के भीतर गंभीर असर डालती हैं:

उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) और उच्च कोलेस्ट्रॉल: ये दोनों ही हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और धमनियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं।

मधुमेह (डायबिटीज़): महिलाओं में डायबिटीज़ का हृदय पर असर पुरुषों की तुलना में अधिक गंभीर होता है।

मेनोपॉज़ के बाद हार्मोनल बदलाव: एस्ट्रोजेन की कमी हृदय को प्रभावित करती है।

धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन: रक्त धमनियों को संकीर्ण करता है, जिससे हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।

मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता: आधुनिक जीवनशैली में यह एक सामान्य लेकिन घातक संयोजन है।

तनाव, डिप्रेशन और नींद की कमी: मानसिक स्वास्थ्य सीधे हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

महिलाएं क्यों करती हैं लक्षणों की अनदेखी?

भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका पारंपरिक रूप से ‘त्याग’ और ‘देखभाल’ की रही है। कई बार वे अपने स्वास्थ्य को दूसरों की ज़िम्मेदारी के पीछे रख देती हैं। इसी कारण, जब उनके शरीर से हार्ट अटैक के संकेत मिलते हैं, तो वे उन्हें नजरअंदाज कर देती हैं या घरेलू उपायों से ठीक करने की कोशिश करती हैं — जो गंभीर जोखिम का कारण बन सकता है।

कैसे करें समय रहते बचाव? अपनाएं ये ज़रूरी कदम

  1. स्वस्थ आहार अपनाएं: ताज़े फल, हरी सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार, और कम वसा वाले प्रोटीन का सेवन करें।
  2. नियमित शारीरिक गतिविधि: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की तेज़ चाल, योग या एरोबिक एक्सरसाइज़ को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
  3. तनाव प्रबंधन: मेडिटेशन, गहरी सांस लेने की क्रियाएं और पर्याप्त नींद मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।
  4. नियमित हेल्थ चेकअप: ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल और ईसीजी जैसे टेस्ट समय-समय पर करवाना चाहिए।
  5. धूम्रपान और शराब से दूरी: यह सबसे सरल और सबसे प्रभावी परिवर्तन हो सकता है।
  6. परिवार और डॉक्टर से संवाद बनाए रखें: लक्षणों को छुपाने के बजाय, समय पर साझा करना और विशेषज्ञ सलाह लेना जीवन रक्षक हो सकता है।

जागरूकता से ही बदलेगी तस्वीर

हार्ट अटैक अब पुरुषों तक सीमित समस्या नहीं है। महिलाओं में इसके लक्षणों और जोखिमों की जानकारी उतनी ही जरूरी है जितना कि इसके इलाज का समय पर मिलना। जागरूकता, आत्म-देखभाल और नियमित स्वास्थ्य जांचों से महिलाएं इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकती हैं।

याद रखें — अपने दिल की आवाज़ को नज़रअंदाज़ न करें, क्योंकि आपकी सेहत से ही पूरे परिवार की धड़कन जुड़ी है।

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