डायबिटीज़ यानी मधुमेह को लेकर अब तक दो प्रमुख प्रकार जाने जाते थे—टाइप 1 और टाइप 2। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक तीसरे, बिल्कुल अलग प्रकार की डायबिटीज़ की पहचान की है। इसका नाम दिया गया है “मालन्यूट्रिशन-रिलेटेड डायबिटीज़ (Malnutrition-Related Diabetes या MRD)”, और इसकी पहचान करना खासा मुश्किल है क्योंकि इसके लक्षण पारंपरिक प्रकारों से मेल नहीं खाते।
यह रिसर्च हाल ही में प्रकाशित हुई है और हेल्थ सेक्टर में हलचल मचा रही है। यह नया डायबिटीज़ टाइप उन लोगों में देखने को मिला है जो बचपन या किशोरावस्था में गंभीर कुपोषण (malnutrition) से गुज़रे हैं।
क्या है MRD – मालन्यूट्रिशन-रिलेटेड डायबिटीज़?
MRD एक ऐसा मधुमेह है जो न तो टाइप 1 की तरह पूर्ण रूप से इंसुलिन की कमी से होता है, और न ही टाइप 2 की तरह शरीर में इंसुलिन का विरोध (resistance) करता है। इसके मरीज दुबले-पतले होते हैं, लेकिन उनका शुगर लेवल बेहद असंतुलित पाया जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, MRD के लक्षणों में शामिल हैं:
सामान्य से अधिक थकान
कमज़ोरी और भूख की कमी
अचानक वज़न घट जाना
रक्त शर्करा में उतार-चढ़ाव, लेकिन बिना टाइप 2 डायबिटीज़ के क्लासिक संकेतों के
इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि अधिकतर डॉक्टर इसे टाइप 2 डायबिटीज़ समझ लेते हैं, जिससे इलाज में देरी हो जाती है या उपचार पूरी तरह गलत हो सकता है।
शोध में क्या सामने आया?
अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन और अन्य ग्लोबल संस्थाओं के साथ मिलकर किए गए इस शोध में पाया गया कि अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में यह नई तरह की डायबिटीज़ बड़ी संख्या में मौजूद है। रिसर्चर्स ने पाया कि बचपन में अत्यधिक कुपोषण झेलने वाले लोगों में पैंक्रियाज का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता, जिससे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन अव्यवस्थित रहता है।
शोधकर्ता डॉ. मेरी लॉर्ड्स ने बताया,
“यह पूरी तरह से अलग रोग प्रोफाइल है। न सिर्फ इसकी पहचान मुश्किल है, बल्कि इसके लिए स्टैंडर्ड दवाएं भी कई बार बेअसर हो जाती हैं।”
भारत में MRD के मायने
भारत जैसे देश में, जहां एक तरफ डायबिटीज़ की संख्या बढ़ रही है और दूसरी तरफ अब भी लाखों लोग कुपोषण से जूझ रहे हैं, MRD का उभरना एक गंभीर चेतावनी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में यह स्थिति छिपी हुई महामारी की तरह है।
इसकी सही पहचान के लिए जरूरी है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर्स को MRD के लक्षणों की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
इलाज और देखभाल में ज़रूरी बदलाव
MRD के इलाज में टाइप 2 डायबिटीज़ की पारंपरिक दवाएं जैसे मेटफॉर्मिन हर बार असरदार नहीं होतीं। ऐसे में एक बायोलॉजिकल और न्यूट्रिशन-फोक्सड इलाज की ज़रूरत है।
इसमें मरीज के आहार, जीवनशैली और पोषण स्तर को प्राथमिकता दी जाती है।
MRD की पहचान कैसे हो?
(जागरूकता के लिए ज़रूरी संकेत)
रोगी दुबला-पतला हो लेकिन उसका ब्लड शुगर लगातार हाई हो।
पारंपरिक डायबिटीज़ दवाओं का सीमित असर दिखे।
रोगी का इतिहास लंबे समय तक कुपोषण से जुड़ा हो।
डायबिटीज़ की परिभाषा बदल रही है
डायबिटीज़ की यह नई खोज बताती है कि हमें अब इस बीमारी को केवल टाइप 1 और टाइप 2 के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। एक नया युग शुरू हो चुका है जिसमें पोषण से जुड़ी बीमारियों को गंभीरता से लेना ज़रूरी है।
स्वास्थ्य तंत्र, डॉक्टर्स, नीतिनिर्माताओं और आम लोगों को मिलकर इस छुपे हुए खतरे को उजागर करना होगा ताकि समय रहते इलाज और जीवनशैली में बदलाव किया जा सके।
Medlarge सुझाव:
यदि आप या आपके परिजन डायबिटीज़ के किसी असामान्य रूप से जूझ रहे हैं, और आम इलाज से सुधार नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर से MRD की संभावना पर चर्चा ज़रूर करें।
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