Child Mattress

शिशु और छोटे बच्चों के लिए अच्छी नींद जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है उनका सुरक्षित सोने का माहौल। लेकिन हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—बाजार में मिलने वाले कई बच्चों के गद्दे उनके मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।

गद्दों से निकल रहे हैं हानिकारक रसायन

कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि बच्चों के गद्दों से फ्थेलेट्स (Phthalates), फ्लेम रिटार्डेंट्स और अन्य रसायन हवा में घुलते हैं। ये रसायन बच्चों के सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और लंबे समय में उनके मानसिक विकास, हार्मोन संतुलन और संज्ञानात्मक क्षमताओं पर असर डाल सकते हैं।

अध्ययन में क्या निकला सामने?

शोधकर्ताओं ने 6 महीने से 4 साल के बच्चों के कमरों में हवा की जांच की और साथ ही 16 नए बच्चों के गद्दों को परखा। जब उन्होंने बच्चों के वजन और शरीर के तापमान जैसी स्थितियों को दोहराया, तो पाया कि गद्दों से निकलने वाले रसायनों की मात्रा कई गुना बढ़ गई थी।

किन बीमारियों से जुड़ा है ये जोखिम?

इन रसायनों का लंबे समय तक संपर्क न केवल मस्तिष्क के विकास में बाधा बन सकता है, बल्कि अस्थमा, एलर्जी, हार्मोनल असंतुलन और यहां तक कि कुछ कैंसर से भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है।

माता-पिता क्या करें?

बच्चों के गद्दे खरीदते समय “नॉन-टॉक्सिक” और “ओर्गेनिक” टैग वाले प्रोडक्ट्स चुनें।

बिस्तर की चादरें और पजामे नियमित रूप से धोएं।

गद्दे के ऊपर एक सुरक्षित, धुल सकने वाला कवर लगाएं।

कमरे को हवादार रखें और रूम फ्रेशनर या अन्य रासायनिक उत्पादों से बचें।

क्यों जरूरी है सतर्कता?

शिशु दिन का अधिकांश समय सोते हुए बिताते हैं। ऐसे में गद्दों से निकलने वाले रसायनों का प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर अधिक गहरा पड़ सकता है। भारत जैसे देशों में जहां उत्पादों की निगरानी सीमित है, वहां जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।

मेडलार्ज एडवाइजरी:
बच्चों की नींद सिर्फ आराम के लिए नहीं, बल्कि उनके विकास का मूल आधार है। अगर उनका बिस्तर ही उनके लिए खतरा बन जाए, तो यह हर माता-पिता के लिए चिंता का विषय है। अगली बार जब आप अपने बच्चे का गद्दा बदलें, तो सिर्फ आराम नहीं—सुरक्षा को भी प्राथमिकता दें।

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