एम्स (AIMS), नई दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ की फैकल्टी एसोसिएशनों ने अपने-अपने संस्थानों में लंबे समय से लंबित रोटेटरी हेडशिप नीति को लागू न किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स (FAIMS) और पीजीआई चंडीगढ़ फैकल्टी एसोसिएशन की जनरल बॉडी मीटिंग में सर्वसम्मति से मत व्यक्त किया गया कि रोटेटरी हेडशिप प्रणाली तथा कोलेजियम सिस्टम दोनों ही संस्थानों में न्यायपूर्ण, पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रशासनिक संरचना के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
वर्ष 2023 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा औपचारिक रूप से यह घोषणा की गई थी कि एम्स नई दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़ में जून 2024 से रोटेटरी हेडशिप नीति लागू की जाएगी। किंतु, लगभग एक वर्ष बीत जाने और फैकल्टी संगठनों द्वारा बार-बार निवेदन करने के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से कई बार संवाद हो चुका है, परंतु अब तक माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोनों एसोसिएशनों को मिलने का समय नहीं दिया है और यह विषय लगातार अनुचित रूप से टाला जा रहा है।
इस दीर्घकालिक उदासीनता को देखते हुए, दोनों फैकल्टी एसोसिएशनों ने 17 अप्रैल 2025 से 14 दिनों की समयसीमा तय की है, जिसके भीतर इस नीति का क्रियान्वयन आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो 1 मई 2025 से चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन प्रारंभ किए जाएंगे:
- पहला महीना: काली पट्टी पहनकर विरोध
- दूसरा महीना: रिले भूख हड़ताल
- दो महीने के बाद: और कठोर विरोध के रूप अपनाए जाएंगे
दोनों एसोसिएशन संस्थान की गरिमा, नेतृत्व में समानता, और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु एकजुट हैं। हम स्वास्थ्य मंत्रालय से आग्रह करते हैं कि वह अपनी ही प्रतिबद्धता का सम्मान करे और फैकल्टी को आंदोलन के लिए विवश न करे, विशेषकर जब यह नीति पहले ही घोषित की जा चुकी है।
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