देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों एम्स, नई दिल्ली और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के फैकल्टी संघों ने रोटेटरी हेडशिप प्रणाली को लागू करने में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। इसके विरोध में दोनों संस्थानों के फैकल्टी ने काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज कराना शुरू किया है। 1 मई से इस विरोध प्रदर्शन को लॉन्च किया गया है।
यह निर्णय उस पृष्ठभूमि में लिया गया है, जब अगस्त 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित समिति, जिसे नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता में रोटेटरी हेडशिप और अन्य प्रशासनिक सुधारों पर रिपोर्ट देनी थी, अब तक अपनी सिफारिशें सरकार को नहीं सौंप सकी है।
फैकल्टी संघों का कहना है कि समिति के सभी सदस्यों ने अपनी राय दे दी है, बावजूद इसके रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा रहा। इस देरी को वे एक गंभीर प्रशासनिक बाधा मान रहे हैं, जो संस्थानों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है।
रोटेटरी हेडशिप प्रणाली के अंतर्गत विभागाध्यक्ष का कार्यकाल सीमित और चक्रानुक्रम में अन्य वरिष्ठ सदस्यों को सौंपा जाता है। इससे पारदर्शिता, जवाबदेही और नेतृत्व के अवसरों में संतुलन बना रहता है। यह प्रणाली पहले से ही देश के कई अन्य शीर्ष संस्थानों जैसे आईएमएस बीएचयू, जिपमर, निम्हांस और सीएमसी वेल्लोर में लागू है।
फैकल्टी संघों ने यह भी याद दिलाया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने जनवरी 2023 में इस सुधार को सकारात्मक रूप से लिया था और इसे जल्द लागू करने का आश्वासन दिया था।
संघों ने सरकार से आग्रह किया है कि प्रो. वी.के. पॉल से रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत कराने की कार्रवाई की जाए। यदि शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो विरोध की तीव्रता और व्यापक हो सकती है।
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