2 अप्रैल को दिल्ली में मरकज़ से निकलकर जांच में कोरोना संक्रमित पाए गए मरीजों की संख्या 182 थी, जो अगले दिन यानी 3 अप्रैल को बढ़कर 259 हो गई.

29 मार्च को दिल्ली में कोरोना के सिर्फ 72 मरीज थे, तब मरकज़ का मामला सामने नहीं आया था, लेकिन जैसे ही मरकज़ से कोरोना के संदिग्ध अस्पताल पहुंचाए जाने लगे और उनकी जांच होने लगी कोरोना संक्रमण के आंकड़े भयावह तस्वीर पेश करने लगे. हालात यहां तक पहुंच गए कि दिल्ली में कोरोना के कुल मरीजों में 70 फीसदी की भागीदारी केवल मरकज़ की है.

ऐसा भी नहीं है कि ये आंकड़े स्थिर हैं, या आगे किसी अच्छी तस्वीर की उम्मीद है. 2 अप्रैल को दिल्ली में मरकज़ से निकलकर जांच में कोरोना संक्रमित पाए गए मरीजों की संख्या 182 थी, जो अगले दिन यानी 3 अप्रैल को बढ़कर 259 हो गई. गौर करने वाली बात यह है कि 3 अप्रैल को दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार दिल्ली में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या थी 386 और इसमें केवल मरकज़ के ही 259 संक्रमित थे.

मान लेते हैं, अगर मरकज़ न होता, तो दिल्ली में 3 अप्रैल को कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या मात्र 127 होती और 29 अप्रैल के 72 पॉजिटिव केस की संख्या की तुलना में यह बढ़ोतरी चिंताजनक नहीं कही जा सकती. दिल्ली के लिहाज से तो वो आंकड़ा भी चिंताजनक नहीं है, जिसने दुनियाभर के माथे पर बल ला दिया है. 384 पॉजिटिव केस में से दिल्ली में 58 मरीज विदेश यात्रा वाले हैं और इनके सम्पर्क में संक्रमित हुए मरीजों की संख्या 38 है.

इस आंकड़े को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना था कि यह संख्या काफी समय से ऐसी ही है और यही हमारे लिए उम्मीद की बात है कि दिल्ली में कोरोना अभी फैल नहीं रहा. लेकिन उम्मीद के इस आंकड़े पर हावी है, मरकज़ का निराश करता आंकड़ा.

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