देश में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की कमी की समस्या से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।

देश में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की कमी की समस्या से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। देश जिस तरह से टेस्टिंग किट की कमी से जूझ रहा है समस्या आगे चल कर गंभीर होने वाली है | दुनिया के सभी देशों में टेस्टिंग किट की जरुरत है| इसलिए कमी भी स्वाभाविक है। लेकिन दूसरा और कोई विकल्प है भी नहीं | टेस्टिंग को बढ़ाना ही एक मात्र उपाय है इस जानलेवा बिमत्री से लड़ने को | कोविड से लड़ाई बिना टेस्टिंग के संभव नहीं है। क्योंकि देश में हॉटस्पॉट्स क्षेत्र को अलग तो कर दिया गया है पर नॉन हॉटस्पॉट्स क्षेत्र में अभी भी जाँच नही हो रही है ऐसे कोरोना से पार पाना संभव नही अहि |

 भारत को टेस्टिंग किट चीन से ही मंगवाना पड़ रहा है | पिछले दिनों 5 अप्रैल तक भारत में चीन से करीब 1.70 लाख PPE किट की सप्लाई आई थी, जिसमें से 50,000 किट क्वॉलिटी टेस्ट में खरे नहीं उतरे। सूत्र के अनुसार  ‘30,000 और 10,000 PPE किट के दो छोटे कंसाइनमेंट्स भी टेस्ट में पास नहीं हो पाए।’ इन उपकरणों की जांच डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की ग्वालियर स्थित लैबोरेटरी में हुई थी।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे सिर्फ CE/FDA से मान्यता प्राप्त PPE ही खरीद रहे हैं। हालांकि सरकार को कई कंसाइनमेंट्स डोनेशन के तौर पर भी मिले हैं, जो क्वॉलिटी टेस्ट में सही नहीं पाए गए और ऐसे में उनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सूत्र ने बताया, ‘जिन किट्स को FDA/CE से मान्यता नहीं मिली है, उन्हें भारत में क्वॉलिटी टेस्ट से गुजरना होता है।’

सूत्र ने बताया कि क्वॉलिटी टेस्ट में जो कंसाइनमेंट्स फेल हुए हैं, उन्हें देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों ने डोनेशन के तौर पर भारत सरकार को दिया था। हालांकि उन्होंने इन दानकर्ताओं के नाम से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी। भारत को रोजाना करीब 1 लाख PPE की जरूरत है। हालांकि एक्सपोर्ट में गिरावट और वायरस के प्रकोप के चलते दुनियाभर में मांग बढ़ने के चलते इन किट्स की पर्याप्त मात्रा में सप्लाई काफी चुनौतीपूर्ण बन गई है।

सरकार 18 अप्रैल से डिलीवरी मिलने की उम्मीद कर रही है। सूत्रों ने बताया, ‘मई के पहले हफ्ते तक हमारे पास ये सूट्स होने चाहिए। इस बीच और भी ऑर्डर दिए जाएंगे।’ सरकार का आंतरिक आकलन कहता है कि अगर भारत में पास इस समय 20 लाख सूट्स होते तो वह अभी के मुकाबले कहीं बेहतर स्थिति में होता। अधिकारियों का कहना है कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

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