राजधानी दिल्ली में न सिर्फ कोरोना संक्रमितों की संख्या बल्कि इसके कारण हो रही मौत का आंकड़ा भी दिन-ब-दिन भयावह रूप लेता जा रहा है. दिल्ली में संक्रमितों का आंकड़ा 26 हजार को पार कर गया है, वहीं 708 लोग अब तक कोरोना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. दिल्ली के अलग अलग इलाकों के बड़ी संख्या में कोरोना का हॉट स्पॉट बनने की खबर आ रही है. ऐसे में जरूरत है, ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कराने की, लेकिन दिल्ली सरकार इससे विपरीत टेस्ट में कमी की नीति पर आगे बढ़ रही है.

प्राइवेट लैब्स को सरकारी आदेश

दिल्ली में अब तक जितने टेस्ट हो रहे थे, उनमें से ज्यादातर प्राइवेट लैब कर रहे थे. लेकिन अब दिल्ली सरकार द्वारा प्राइवेट लैब मालिकों से कहा है गया है कि वे टेस्टिंग की संख्या कम कर दें और बिना लक्षण वाले लोगों का तो टेस्ट करें ही ना. इसके पीछे सरकार का आधार यह है कि टेस्ट में पॉजिटिव आने पर बिना लक्षण वाले लोग भी अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं और अगर ऐसा ही रहा, तो कोरोना के गम्भीर मरीजों के इलाज में समस्या खड़ी हो जाएगी. लेकिन शायद सरकार यह नहीं समझ रही कि बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों का खुलेआम घूमना कितना खतरनाक हो सकता है.

पत्नी संक्रमित, पति का टेस्ट नहीं

कोरोना टेस्टिंग को लेकर जारी दिल्ली सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार, कोरोना के लक्षण हों या पिछले 14 दिन में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की हो, कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए हों और लक्षण हों, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मरीज हों, कंटेनमेंट जोन या कोविड वार्ड में काम कर रहे हों और लक्षण हों या फिर कंटेनमेंट जोन में रह रहे हों और लक्षण हों, तभी आपका कोरोना टेस्ट हो सकता है. इस गाइडलाइन के बाद सैकड़ों लोग दहशत के साए में जी रहे हैं. उदाहरण के तौर पर दिल्ली के धर्मशीला हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज करा रही एक महिला कोरोना संक्रमित पाईं गईं हैं. लेकिन अब तक हर वक्त उनके साथ रहे उनके पति का टेस्ट नहीं किया जा रहा, क्योंकि उनमें लक्षण नहीं हैं.

लगातार कम होते सैम्पल टेस्ट

आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से दिल्ली में सैम्पल टेस्ट की संख्या में लगातार कमी आ रही है. बीते तीन दिनों की ही बात करें, तो दिल्ली सरकार के 3 जून के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली में 24 घण्टे के भीतर 7038 सैम्पल टेस्ट हुए थे, यह संख्या 4 जून को 6361 हो गई, वहीं 5 जून को घटकर 5187 रह गई. ऐसा तब है, जबकि इन तीन दिनों में क्रमशः 1513, 1359 और 1330 मामले सामने आए. आपको बता दें कि जब दिल्ली में कोरोना ने भयावह रूप नहीं लिया था, तब दिल्ली सरकार कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और रैंडम सैम्पल टेस्टिंग की बात कर रही थी, लेकिन अभी जबकि उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, तब जरूरतमंदों के भी टेस्ट नहीं किए जा रहे.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

विशेषज्ञ डॉक्टर दिल्ली सरकार के इस फैसले को वर्तमान समय के हिसाब से खतरनाक मान रहे हैं. सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर आर. एस. चहल ने इस मामले में उदाहरण देते हुए कहा है कि मान लीजिए, अगर कोई डिलीवरी ब्वॉय या किसी दुकान में काम करने वाला व्यक्ति किसी कोरोना मरीज के सम्पर्क में आए जाए और वो एसिम्प्टोमोटिक हो, इसलिए उसका टेस्ट नहीं हो. फिर वो हर दिन कितने लोगों में कोरोना फैलाएगा हम इसका अंदाजा नहीं लगा सकते हैं. डॉ चहल ने बताया कि ऐसे लोगों को सुपर स्प्रेडर्स बोलते हैं. उन्होंने कोरिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वुहान से एक प्रिस्ट वहां आया और उसने सभी को यह बीमारी दे दी.

चीन से अब भी सीखें

चीन में कोरोना का संक्रमण अब ना के बराबर है, लेकिन वहां अब भी टेस्ट हो रहे हैं. डॉ चहल का कहना था कि चीन में एक भी केस आ रहा है, तो वे बड़े स्तर पर टेस्ट कर रहे हैं. केवल पिछले महीने चीन ने 10 लाख लोगों का दोबारा टेस्ट किया. उन्होंने कहा कि टेस्ट कम करके आप संक्रमितों की संख्या को कम दिखा सकते हैं, लेकिन बीमारी तो बनी रहेगी. देखने वाली बात होगी कि तमाम सवालों और आशंकाओं के बाद दिल्ली सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं, या फिर आंकड़ों के जरिए अपनी असफलता छुपाने के लिए दिल्ली को कोरोना रूपी काल के गाल में समा जाने देती है.

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