बीते कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अस्पताल कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भर्ती करने से मना कर रहे हैं.

बीते कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अस्पताल कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भर्ती करने से मना कर रहे हैं. इन मामलों में अस्पतालों का यह कहना था कि चूंकि मरीज का कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है, इसलिए वे उन्हें भर्ती नहीं कर सकते. ऐसी शिकायतें सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को सख्त आदेश दिया है कि उन्हें ऐसे मरीजों का इलाज भी कोरोना संक्रमित मरीजों की तरह करना होगा.

केजरीवाल का सख्त आदेश

दिल्ली सरकार की तरफ से इसे लेकर अस्पतालों को आदेश जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शनिवार दोपहर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इसे लेकर अस्पतालों को निशाने पर लिया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिना टेस्ट कराए अगर कोई गम्भीर मरीज अस्पताल जाता है, जिसे सांस की तकलीफ हो रही होती है, या ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल काफी कम हो गया होता है, तो उसे अस्पताल भर्ती करने से मना कर देते हैं. कहते हैं कि पहले जांच करा कर आओ.

मरीज की जान बचाएं अस्पताल

केजरीवाल ने सवाल किया कि वह मरीज कहां से जांच करा कर आएगा, उसकी जांच अस्पताल ही करेगा. उन्होंने कहा कि अब से किसी भी संदिग्ध मरीज को लेने से कोई भी अस्पताल मना नहीं करेगा. अस्पताल कोरोना का मरीज मानकर उसका इलाज करें. पीपीई किट पहन कर उसका इलाज शुरू करें और आॅक्सीजन देकर उसकी जान बचाएं.

अस्पताल कराएगा टेस्ट

दिल्ली सरकार की तरफ से इसे लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि वही अस्पताल उस संदिग्ध कोरोना मरीज का टेस्ट कराएगा और जांच में कोरोना की पुष्टि होने पर उसे कोरोना वार्ड में रखा जाएगा और पुष्टि नहीं होने की स्थिति में नाॅन कोरोना वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

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