स्पुतनिक V , कोरोना से बचाव में उपयोगी रूसी वैक्सीन जिसे भारत मे इमरजेंसी यूज के अप्रूवल मिला है कई मायनों में खास है.

स्पुतनिक V , कोरोना से बचाव में उपयोगी रूसी वैक्सीन जिसे भारत मे इमरजेंसी यूज के अप्रूवल मिला है कई मायनों में खास है. कोरोना के भीषण संक्रामक लहर के बीच यह भारत मे दी जाने वाली तीसरी वैक्सीन होगी जिसे हरी झंडी दी गयी है. हालांकि यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशिल्ड की तरह ही काम करता है लेकिन इसकी एफिकेसि कोविशिल्ड से कही ज्यादा है और द लांसेट के मुताबिक 92% सुरक्षा कवर देता है.

यह वैक्सीन इस मायने में भी खास है क्योंकि इसे 18 साल से ऊपर के आयु वर्ग में दिया जा सकता है . मौजूदा कोविड संक्रमण में यह वायरस ज्यादातर युवाओ को अपनी चपेट में ले रहा है, ऐसे में बचाव के लिये यह वैक्सीन कारगर भूमिका निभा सकता है. मास्को के गैमाल्या इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित यह वैक्सीन 2 से 8 डिग्री तामपान में सुरक्षित रह सकता है.

इस वैक्सीन को बनाने के लिये सर्दी के वायरस का उपयोग किया गया है. सर्दी के वायरस के साथ वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के एक हिस्से को वाहक के रूप में प्रयोग किया. जैसे ही कोरोना के जेनेटिक कोड का एक हिस्सा शरीर के अंदर जाता है इसके खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता एक्शन में आ जाती है और इस तरह इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का हुनर सीख जाता है. टीका लगने के बाद शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है.
इस वैक्सीन के भी दो खुराक है लेकिन दूसरा खुराक पहले से अलग है जिसे 21 दिन के अंतराल पर दिया जाता है. दो अलग अलग न्यूट्रल वायरस को रोगवाहक के रूप में उपयोग करते हुये दोनो खुराकों के जरिये कोरोना वायरस के अलग अलग स्पाइक का लक्ष्य किया जाता है. इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि दो अलग अलग रोग वाहक को लेने से शरीर का इम्मयून सिस्टम ज्यादा मजबूत होगा.
भारत मे इस वैक्सीन के लिए डॉ रेड्डी सहित 5 कंपनियों के साथ करार है और योजना के मुताबिक 75 करोड़ खुराक उपयोग में लाये जायेंगे.

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