बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा है। पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई और उनकी माफी को खारिज करते हुए सख्त लहजे में कहा की “हम अंधे नहीं हैं” । इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार के जवाब से भी असंतुष्टि जताई । कोर्ट ने कहा की हम आपका दूसरा माफीनामा भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसके साथ हीं कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा की अगली कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
माफी और दाखिल हलफनामे से असंतुष्टि
इस केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने वकीलों से कहा की अदालत अवमानना को संबोधित करें, तो बीच में न आएं। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ” मैने उन्हे बिना शर्त माफी मांगने की सलाह दी थी। उनसे मुझे जो मिला था,वह उसी के अनुरूप है । इसके जवाब में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा की हम उनकी माफी से संतुष्ट नहीं हैं।
सरकार के हलफनामे में क्या है?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा की कोविड 19 महामारी के दौरान पतंजलि को कोरोनिल के जरिए इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था। ये निर्देश दिए गए थे की आयुष मंत्रालय इसकी विधिवत जांच करेगा। हलफनामे में आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानो की भी आलोचना की है। आयुष या एलोपैथी की सेवाओं का लाभ उठाना व्यक्ति की पसंद है। आयुष मंत्रालय एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के एक मॉडल की वकालत करती है। हलफनामे में ये भी कहा गया है की पतंजलि तबतक कोरोनील के जरिए कोविड के इलाज का दावा या विज्ञापन न करे जबतक मंत्रालय इसकी पूरी तरह जांच ना कर पाए।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 16 अप्रैल को होगी जब पता चलेगा की इस माफीनामे को कोर्ट स्वीकार करता है या नहीं।
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