Live in relationship

लिव इन रिलेशनलिप का सबसे बड़ा कनेक्ट आपके मेटल हेल्थ से होता है, जिसे जानना बेहद जरूरी है।

अपने दौर की जानी मानी एक्ट्रेस जीनत अमान ने युवाओं को शादी से पहले लिव इन रिलेशनशिप में रहने की सलाह दी। उनके इस सलाह के बाद बॉलीवुड से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर गंभीर बहस छिड़ गई है। Zeenat Aman की इस सोच को पश्चिमी करार देते हुए एक्ट्रेस मुमताज, मुकेश खन्ना सहित कई नामचीन अदाकारों ने इसे भारतीय सभ्यता संस्कृति के खिलाफ बताया है।

लेकिन हम इस बहस में न पड़ते हुए आपको लिव इन रिलेशन के फायदे और नुकसान बताने जा रहे हैं। चुकी रिलेशनशिप सीधे आपके मेंटल हेल्थ से जुड़ा होता है इसलिए एक्सपर्टस की राय जाननी भी जरूरी है।

लिव इन रिलेशनशिप के फायदे

1. इमोशनल सिक्योरिटी: एक साथ रहने से न सिर्फ आपसी समझ, घनिष्ठता बल्कि भावनात्मक सुरक्षा भी बढ़ती है। इससे न सिर्फ दोनो के संबंध प्रगाढ़ होते हैं बल्कि एक दूसरे को काफी सपोर्ट भी मिलता है।

2. साझा जिम्मेदारियां: एक साथ रहने से जिम्मेदारियों का बोझ भी आपस में बंटता है। घरेलू कामकाज हो या फिर इकनॉमिक सपोर्ट इसके प्रति भी समझदारी विकसित होती है। ये दोनो फैक्टर मेंटल हेल्थ को काफी प्रभावित करने वाले होते हैं।

3. आपसी समझदारी: एक साथ रहने से आपसी समझदारी भी विकसित होती है। जैसे एक दूसरे के लाइक और डिसलाइक को समझना। इससे इमोशनल मैच्योरिटी आती है और ग्रोथ पर भी फर्क पड़ता है।

4.फ्लेक्सिब्लिटी और फ्रीडम: आज के दौर में बहुत से युवा शादी के कानूनी बंधन में नहीं बधना चाहते है। उन्हे लाइफ में फ्री और फ्लेक्सिबल रहना पसंद है । ऐसे युवाओं को लगता है की किसी भी लीगल और शादी के मेंटल प्रेशर को लिए बगैर लिव इन में रहना बेहतर है।

लिव इन रिलेशन के नुकसान

1. सामाजिक पहचान: हमारे समाज में सामाजिक पहचान पर काफी जोर दिया जाता है, मसलन एक शादी शुदा जोड़ा सामाजिक और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होता है। लिव इन रिलेशन शिप में सामाजिक पहचान का दायरा बेहद सीमित रहता है।

2. भविष्य की अनिश्चितता: लिव में रहने वाले जोड़ो के सामने भविष्य की अनिश्चितता भी बनी रहती है। अगर दोनो के विचार नहीं मिले, यह फिर दोनो अपने स्वतंत्र विचारों के साथ जीने में भरोसा रखते हैं तो फिर सेपरेशन का दर्द भी झेलना होता है जिसका मानसिक दुष्प्रभाव भी देखा जाता है।

3. कानूनी मसले : लीव इन रिलेशन में  कानूनी प्रोटेक्शन का दायरा काफी सीमित रहता है जिसके कारण ऐसे संबंधों में कमिटमेंट का बढ़ा अभाव देखा जाता है। दोनो के बीच कोई सोशल या लीगल एग्रीमेंट नहीं रहता जिससे संबंधों के बिखराव में कोई सोशल या लीगल प्रोटेक्शन भी नहीं मिलता जिसका मन और मस्तिष्क पर काफी असर देखा जाता है।

4. फाइनेंशियल इश्यू: लिव इन की एक बड़ी समस्या ये भी है की जब तक आपके मन और विचार मिले अपने अपने व्यक्तिगत और वित्तीय मामलों को आपसी समझ से डील किया। लेकिन जब संबंध बिखरते हैं तो ऐसे में लीगल मैरेज की तरह फाइनेंशियल क्लेम या सपोर्ट  नहीं मिलता है।

डिक्लेमर: यह आर्टिकल डिजिटल वर्ल्ड में मौजूद विभिन्न एक्सपर्ट की राय पर आधारित है। इसका मकसद सिर्फ जानकारी और जागरूकता है।

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