क्या इलाज के लिए मरीजों को पुरुष के बदले महिला डॉक्टर्स पर भरोसा करना चाहिए!
क्या डॉक्टर के सेक्स का कोई संबंध मरीजों के इलाज से है? ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल में जारी एक स्टडी ने मेल डॉक्टर्स के मुकाबले फीमेल डॉक्टर्स पर भरोसा दर्ज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक महिला डॉक्टर्स के ट्रीटमेंट में मरीजों की मृत्य दर कम होती है और निरोग होने का प्रतिशत भी ज्यादा होता है। डॉक्टर और मरीज दोनो ही महिला है तो ऐसे में परिणाम और बेहतर दिखाई दिए।
यह स्टडी अमेरिका और जापान में की गई। अध्ययन करने वाली टीम ने 458,108 महिला और 318,819 पुरुष मरीजों पर अध्ययन किया जो साल 2016 और 2019 के बीच हॉस्पिटल में एडमिट रहे। ये सभी मरीज 65 साल से ज्यादा उम्र के थे। इनमें से एक तिहाई मरीजों का इलाज महिला डॉक्टर्स ने किया था। इन मरीजों के एडमिट होने के 30 दिनों में मृत्य दर और डिस्चार्ज होने के एक महीने के भीतर फिर से एडमिट होने के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया की जो मरीज महिला डॉक्टर्स की देखरेख और इलाज में रहे उनके परिणाम पुरुष डॉक्टर्स के मुकाबले बेहतर रहा।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, जापान में किया गया। इस रिसर्च को एनल्स आफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। हालाकि ऐसा क्यों हुआ इसके कारण और प्रभाव पर बहुत ज्यादा प्रकाश नहीं डाला गया है।
अध्ययन से जुड़े लोगों का कहना है की फीमेल फिजिशियन हाई क्वालिटी केयर प्रदान करती है और सोशल प्वाइंट ऑफ व्यू से भी उनका योगदान ज्यादा रहता है। फीमेल फिजिशियन का कम्युनिकेशन पुरुषों के मुकाबले बेहतर होता है ऐसे पहले कई अध्ययनों में भी पाया गया हैं। वही फीमेल फिजिशियन और फीमेल पेशेंट्स के बीच कम्युनिकेशन का लेवल काफी बेहतर होता है जिससे सिम्पटम को समझना और डायग्नोसिस में मदद मिलती है।
इस तरह का यह पहला रिसर्च नहीं है। इससे पहले भी स्वीडन और कनाडा में हुए रिसर्च में ऐसा ही परिणाम सामने आया था। इस रिसर्च में भी पाया गया था की फीमेल डॉक्टर्स के द्वारा की गई सर्जरी ज्यादा सफर रही और मरीजों की रिकवरी भी ज्यादा तेजी से हुई। इतना हीं नहीं बल्कि फीमेल डॉक्टर्स के इलाज के दौरान पेशंट का बिल भी कम रहा।
इस रिसर्च और अध्ययन के बाद अमेरिका और यूरोप सहित कई देशों में मांग उठ रही है की हेल्थ केयर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़े। फीमेल डॉक्टर्स का रिक्रूटमेंट प्रतिशत बढ़ाया जाए और उनके प्रति भेदभाव को कम किया जाए।
डिक्लेमर: यह आर्टिकल विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है
Comments