डिहाइड्रेशन की स्थिति में अत्यधिक पानी पीने से वॉटर टॉक्सिसिटी और वाटर पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।

तपती गर्मी में अगर समय समय पर पानी या तरल पदार्थ न लें तो डिहाइड्रेशन का खतरा बना रहता है। लेकिन कई बार लोग डिहाइड्रेशन की स्थिति में अत्यधिक पानी पीते हैं ताकि प्यास बुझ जाए। लेकिन ऐसी स्थिति में आपने महसूस किया होगा की पानी पीते जातें हैं, पानी से पेट लबालब भर जाता है लेकिन प्यास नही बूझती। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ जाता है और शरीर में सोडियम की मात्रा में अचानक गिरावट होती है जो खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है । ब्लड में सोडियम की मात्रा कम होने से सूजन होने लगती है। सही समय पर इलाज न हो तो जानलेवा हो सकता है

क्या है वॉटर पॉइजनिंग?
वॉटर पॉइजनिंग या वॉटर टॉक्सिसिटी एक ऐसी स्थिति है जो कम समय में अत्यधिक पानी पीने से होती है। हमारे शरीर में किडनी वाटर को रिमूव करने का काम करता है लेकिन इसकी क्षमता एक घंटे में अत्यधिक एक लीटर वाटर रिमूव करने की होती है। जब कोई व्यक्ति कम समय में अत्यधिक पानी पीता है तो उसके ब्लड में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और सोडियम की मात्रा काफी कम हो जाती है। अगर सोडियम का लेवल 135 mmol/l हो जाए तो इसे मेडिकल टर्म में hyponatremia कहते हैं। सोडियम का काम होता है सेल में फ्लूइड को बैलेंस करना। सोडियम की कमी से फ्लूइड का बैलेंस बिगड़ता है और सेल में अंदर की तरह फ्लूइड जमा होने लगते है जिसे स्वैलिंग की स्थिति पैदा हो जाती है। ब्रेन सेल में ऐसी स्थिति जानलेवा हो जाती है।

वॉटर टॉक्सीसिटी के लक्षण

वॉटर पॉइजनिंग/ वाटर टॉक्सिसिटी की स्थिति में सामान्य से गंभीर लक्षण देखे जाते हैं, जैसे की –

  • सरदर्द
  • मिचली
  • वोमिंटिंग
  • मूर्छा या अत्यधिक नींद का आना
  • मांशपेशियों में दर्द
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना
  • डबल विजन
  • कन्फ्यूजन
  • सांस लेने में दिक्कत
  • इंद्रियों में संवदेनहीनता

वॉटर टॉक्सिसिटी से कैसे बचें?

वैसे तो वॉटर टॉक्सीसिटी एक सामान्य घटना नहीं होती लेकिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। खास तौर पर गर्मियों में स्पोर्ट्स एक्टिविटी करने वाले, अत्यधिक श्रम करने वाले, फिजिकल प्रैक्टिस, मिलिट्री ट्रेनिंग करने वाले, नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले और कई मामलो में मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग इसका शिकार होते हैं। डिहाइड्रेशन की स्थिति में अत्यधिक पानी तेजी से पीना जोखिम भरा होता है। इससे बचने के लिए डिहाइड्रेशन महसूस होने पर पानी या तरल पदार्थ लेते रहे हैं। धूप में जाने और देर तक प्यासे रहने पर जब डिहाइड्रेशन की हालत हो जाए तो ढेर सारा पानी एक साथ न पिएं। डिहाइड्रेशन में आपके शरीर से सिर्फ पानी नही बल्कि जरूरी खनिज लवण की मात्रा भी शरीर में कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में अत्यधिक पानी पीने से सोडियम की मात्रा में भारी गिरावट होती है । लिहाजा एक ग्लास पानी में थोड़ी नमक की मात्रा मिला लें और पिएं। इससे शरीर में सोडियम का लेवल नियंत्रित होगा और इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस हो जायेगा। ऐसे में वॉटर टॉक्सिसिटी का जोखिम भी नहीं रहेगा। इन्ही वजहों से गर्मी के मौसम में राहत और बेहतर सेहत के लिए शिकंजी, निम्बू पानी, छांछ, लस्सी और शर्बत को गुणकारी माना जाता है क्योंकि यह डिहाइड्रेशन के साथ साथ इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस करने में भी मदद करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल वेब वर्ल्ड में मौजूद एक्सपर्ट इनफॉर्मेशन पर आधारित है जिसका मकसद जानकारी और जागरूकता है। किसी भी मेडिकल इश्यू के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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