Preventive Disease

जीवन के हर दौर में स्वास्थ्य की चुनौतियाँ और उनके निवारण के उपाय बदलते रहते हैं। आज हम जानेंगे कि जीवन के किन पड़ावों में कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं और इनसे बचाव के लिए कौन सी सावधानियां जरूरी हैं।

पहला पड़ाव: 20-30 वर्ष
इस उम्र में युवा सक्रिय रहते हैं लेकिन यह आयु बदलावों की भी होती है। इस दौरान ब्लड प्रेशर, वजन, और लंबाई की नियमित जांच आवश्यक होती है। महिलाओं में एचपीवी (ह्यूमन पापिलोमावायरस) से जुड़े कैंसर के खतरे के चलते एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए, जो कुछ खास प्रकार के कैंसर का कारण बन सकता है।

दूसरा पड़ाव: 31-40 वर्ष
इस उम्र में हृदय संबंधी बीमारियाँ, डायबिटीज, थायराइड, और कोलेस्ट्रॉल की जांच अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। WHO के अनुसार, हृदय घात से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण ये फैक्टर्स हो सकते हैं।

तीसरा पड़ाव: 41-50 वर्ष
पुरुषों में प्रोस्टेट की जांच और महिलाओं में स्क्रीनिंग जैसे कि मैमोग्राम की सलाह दी जाती है। इस उम्र में हृदय संबंधी जांचें अधिक आवश्यक होती हैं। साथ ही, स्किन कैंसर, और दांतों की देखभाल भी महत्वपूर्ण है।

चौथा पड़ाव: 51-65 वर्ष
इस उम्र में कोलन कैंसर की जांच, स्टूल टेस्ट, मेमोग्राम, और ऑस्टियोपोरोसिस की जांच महत्वपूर्ण होती है। हड्डियों का क्षरण और डिप्रेशन की समस्या भी बढ़ सकती है, जिसकी पहचान और उपचार आवश्यक है।

पांचवां पड़ाव: 65 वर्ष से अधिक
वृद्धावस्था में आँखों और कानों की जांच और शारीरिक संतुलन की जांच अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इस उम्र में इम्यूनिटी कम होने लगती है, इसलिए नियमित चेकअप और सही डाइट का पालन करना चाहिए।

इन सभी पड़ावों में जांचें और सावधानियाँ बरतने से हम बीमारियों का पता लगा सकते है और स्वस्थ एवम दीर्घायु जीवन जी सकते हैं।

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