All india institute of Medical science यानी एम्स ने मरीजों को उनके निकटतम एम्स केंद्रों पर ही उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘वन रेफरल पॉलिसी’ की शुरुआत की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य दिल्ली एम्स पर बढ़ते मरीजों के भार को कम करना और देशभर में चिकित्सा सुविधाओं का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
पॉलिसी का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
एम्स के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने बताया कि इस पॉलिसी के तहत मरीजों को उनके निकटतम एम्स केंद्र पर ही इलाज की सुविधा मिलेगी। यदि किसी स्थानीय एम्स में संसाधनों की कमी होती है, तो वहां के डॉक्टर टेली-कंसल्टेशन या त्वरित रेफरल के माध्यम से दिल्ली एम्स से सहायता प्राप्त कर सकेंगे। यह द्विदिशीय रेफरल प्रणाली मरीजों को उनके स्थानीय एम्स केंद्र पर ही फॉलो-अप देखभाल की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे दिल्ली एम्स पर मरीजों का दबाव कम होगा। इस पॉलिसी के तहत अगर मरीज ने दिल्ली एम्स में अपनी सर्जरी कराई या इलाज कराया तो फॉलो अप के लिए उसे अपने राज्य से बार बार दिल्ली आने की जरूरत नहीं होगी। मरीज अपने राज्य के निकटतम एम्स में फॉलो अप कर सकेगा और वहां के डॉक्टर उसकी उचित देखभाल करेंगे। इस पॉलिसी को फिलहाल सरकार से हरी झंडी मिलनी बाकी है लेकिन देश के 22 एम्स में करीब 80 फीसदी ने आपसी तालमेल और कंसल्टेंसी से इस योजना को शुरू कर दिया है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास
इस पॉलिसी को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एम्स ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो देशभर के सभी एम्स केंद्रों को आपस में जोड़ता है। इससे मरीजों की जानकारी और चिकित्सा सेवाओं का आदान-प्रदान सुगम होगा, जिससे रेफरल प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति आएगी।
निदेशक का वक्तव्य
डॉ. श्रीनिवास ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि मरीजों को उनके निकटतम एम्स केंद्र पर ही उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं मिलें, जिससे उन्हें लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़े और दिल्ली एम्स पर भीड़ कम हो। इस पॉलिसी से देशभर में चिकित्सा सुविधाओं का समान वितरण सुनिश्चित होगा।”
भविष्य की योजनाएं
इसके अतिरिक्त, एम्स दिल्ली अपने इमरजेंसी वार्ड में बेड की संख्या 200 से बढ़ाकर 400 करने की योजना बना रहा है, ताकि गंभीर मरीजों को त्वरित और बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके। यह विस्तार अगले वर्ष के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
‘वन रेफरल पॉलिसी’ के माध्यम से एम्स का यह प्रयास है कि देश के प्रत्येक कोने में मरीजों को समान और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं मिलें, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में क्षेत्रीय असमानता को कम किया जा सके।
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